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अहमदाबाद

Gujarat Cochlear implants surgery राजकोट के 139 मूक बधिर बच्चों को मिली आवाज

स्पीच थेरेपी के बाद आयोजित वर्कशॉप में बच्चों की प्रोगे्रस रिपोर्ट का कलक्टर ने किया अवलोकनअब तक 139 बच्चों का हो चुका है ऑपरेशन, निजी अस्पतालों में है 10 लाख का खर्च

अहमदाबादAug 05, 2022 / 03:25 pm

Binod Pandey

Gujarat Cochlear implants surgery  राजकोट के 139 मूक बधिर बच्चों को मिली आवाज

Gujarat Cochlear implants surgery राजकोट के 139 मूक बधिर बच्चों को मिली आवाज

राजकोट. जन्म से सुनने-बोलने में अक्षम बालकों को सरकार की ओर से मिल रही निशुल्क कोकलियर इम्प्लांट सर्जरी और स्पीच थेरेपी का बेहतर परिणाम देखने को मिल रहा है। सरकार की इस निशुल्क सुविधा का राजकोट क्षेत्र के 139 बच्चों को लाभ मिल चुका है। निजी अस्पतालों में इस पूरी चिकित्सा पर 10 लाख रुपए तक खर्च होते हैं, जबकि सरकार ने निशुल्क चिकित्सा सुविधा दिलाकर इन बच्चों के जीवन में परिर्वतन लाने का प्रयास किया है।
इस योजना से लाभान्वित हुए बच्चे अब आम बच्चों की तरह ही बोलने-सुनने में सक्षम हो रहे हैं। अभी राजकोट क्षेत्र के 33 बालकों की स्पीच थेरेपी चल रही है। इन बच्चों की प्रगति जानने के लिए कलक्टर अरुण महेशबाबू राजकोट में आयोजित फीडबैक वर्कशॉप में मौजूद रहे। स्वास्थ्य और चिकित्सकीय सेवा विभाग के उप निदेशक और बच्चों के अभिभावकों ने यहां आयोजित कार्यक्रम में 20 बालकों की स्पीच थेरेपी के दौरान उनकी प्रगति जानी।
बोलने की क्षमता होती है विकसित
इस अवसर पर बालकों ने क, ख…, कविता और परिवारजनों के नाम बोलकर सुनाए। बालकों की तोतली बोली सुनकर सभी वहां भाव-विभोर हो गए। इस अवसर पर कलक्टर ने कहा कि कोकलीयर इम्प्लांट से बालकों की बोलने की क्षमता विकसित होने से वे मुख्य धारा में जुडऩे लगते हैं। इससे बालकों की योग्यता प्रकट होती है। कोकलियर इम्प्लांट के सर्जन डॉ सेजल मिस्त्री ने इम्प्लांट के बाद स्पीच थेरेपी का महत्व समझाते हुए बताया कि ऑपरेशन के बाद बालकों में डिस्ट्रिक्ट अर्ली इन्वेनशन सेंटर में हरेक सप्ताह में एक मिलाकर कुल 100 सत्रों में विशेष प्रशिक्षक के जरिए स्पीच थेरेपी दी जाती है। इस मौके पर अभिभावकों को भी बुलाया जाता है। इसके बाद इनके अभिभावक पूरे सप्ताह इसी तरह से अभ्यास करवाते हैं। इसके अलावा बालक और उनके परिजनों को मशीन की सही ढंग से देखभाल का प्रशिक्षण दिया जाता है।
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विभाग के उप निदेशक डॉ केतन पिपलिया ने बताया कि इम्प्लांट के लिए पहले राज्य स्तरीय पर चयन किया जाता था, लेकिन अब क्षेत्रीय स्तर पर बच्चों के ऑपरेशन के लिए अनुमति प्रदान की जाती है। इससे जरूरतमंद बच्चों की सर्जरी शीघ्र हो जाती है। आगामी दिनों में 35 अन्य बालकों को यह सुविधा प्रदान की जाएगी। फीडबैक वर्कशॉप में स्पीच थेरेपी सेंटर के प्रतिनिधि, कोकलियरा मशीन प्रोवाइडर कंपनी के अधिकारी, इएनटी विभाग के चिकित्सक समेत बच्चे और उनके अभिभावक मौजूद रहे।

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