बैठक के तीन दिन बाद शिक्षामंत्री भूपेन्द्र सिंह चुड़ास्मा ने सोमवार को इस मामले में संवाददाताओं को बताया कि सरकार कॉलेजों में लागू सेमेस्टर सिस्टम को लेकर सामने आ रही समस्याओं और इसे लेकर छात्र संगठनों व अन्य लोगों की ओर से की जा रही मांग को ध्यान में रखकर पुन:विचार करने को सरकार तैयार है। इसमें जरूरी सुधार करना उचित है या नहीं है, इसको लेकर शिक्षा विभाग ने विचार शुरू किया है।
इसका मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को समय पर परीक्षा लेने के साथ परिणाम उपलब्ध कराना भी है। विद्यार्थियों के हित को ध्यान में रखते हुए सरकार ने इस पर पुन:विचार शुरू किया है। सूत्रों का कहना है कि शिक्षा विभाग ने कॉलेजों में लागू सेमेस्टर सिस्टम का अध्ययन करने के लिए एक तीन सदस्य समिति भी गठित की है। इसकी रिपोर्ट के आधार पर भी आगे कदम उठाया जाएगा।
ज्ञात हो कि सेमेस्टर सिस्टम को कॉलेजों में लागू किए जाने के समय के दौरान से ही दोनों प्रमुख छात्र संगठन एनएसयूआई और एबीवीपी इसके विरोध में आवाज उठाते आ रहे हैं। इसको लेकर एनएसयूआई की ओर से तो हस्ताक्षर अभियान तक चलाया था। कई कॉलेजों की ओर से भी और प्राध्यापकों की ओर से भी इसका विरोध किया गया था।
राज्य में वर्ष २०११ में कॉलेजों में सेमेस्टर सिस्टम को लागू किया गया है। जून-२०११ से 11वीं-12वीं विज्ञान संकाय में भी सेमेस्टर सिस्टम को लागू किया गया था। इसके अलावा ९-१० वीं में भी सेमेस्टर पद्धति प्रभावी थी। इसकी विफलता के बाद पांच सालों के बाद राज्य सरकार ने जून-२०१६ से नौवीं से लेकर 12वीं तक में लागू सेमेस्टर पद्धति को पूरी तरह से रद्द कर दिया।