हार्दिक को सिद्धपुर के न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत के समक्ष पेश किया गया जहां उन्हें जमानत दी गई। हार्दिक के वकील आसिफ खान पठाण के मुताबिक हार्दिक को इस मामले में अदालती कार्यवाही में उपस्थित होने की शर्त पर जमानत दी गई।
माणसा व सिद्धपुर के दोनों मामले वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले के हैं जिसके तहत हार्दिक ने बिना अनुमति के चुनावी सभा आयोजित की थी। इससे पहले गत शनिवार को अहमदाबाद की सत्र अदालत ने राजद्रोह प्रकरण में उपस्थित नहीं होने पर हार्दिक के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था। वारंट की तामिल करते हुए साइबर क्राइम ब्रांच ने उसी रात हार्दिक को गिरफ्तार किया। बाद में जज के समक्ष पेश किए जाने के बाद जज ने उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेजने का निर्देश दिया। इसके बाद बुधवार को सत्र अदालत ने जमानत दी, लेकिन तकनीकी कारणों के चलते वे जेल से नहीं रिहा हो सके थे।
उधर जब गुरुवार को हार्दिक अहमदाबाद के साबरमती जेल से बाहर निकले तभी माणसा पुलिस ने उन्हें सरकारी आदेश के उल्लंघन से जुड़े मामले में गिरफ्तार किया।
हार्दिक वर्ष 2015 में पाटीदारों को ओबीसी के तहत आरक्षण दिलाने के लिए पाटीदार आंदोलन छेड़कर सुर्खियों में आए थे। आंदोलन के दौरान ही हार्दिक पटेल पर अहमदाबाद और सूरत में राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया था। इन दोनों मामलों में हार्दिक फिलहाल जमानत पर हैं। हार्दिक के विरुद्ध दर्ज राजद्रोह के मामले में अहमदाबाद शहर सत्र न्यायालय में मुकदमा जारी है।
माणसा के अलावा हार्दिक के खिलाफ वर्ष 2017 में पाटण जिले के सिद्धपुर में भी सरकारी आदेश के उल्लंघन का एक अन्य मामला भी दर्ज है।
उधर जब गुरुवार को हार्दिक अहमदाबाद के साबरमती जेल से बाहर निकले तभी माणसा पुलिस ने उन्हें सरकारी आदेश के उल्लंघन से जुड़े मामले में गिरफ्तार किया।
हार्दिक वर्ष 2015 में पाटीदारों को ओबीसी के तहत आरक्षण दिलाने के लिए पाटीदार आंदोलन छेड़कर सुर्खियों में आए थे। आंदोलन के दौरान ही हार्दिक पटेल पर अहमदाबाद और सूरत में राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया था। इन दोनों मामलों में हार्दिक फिलहाल जमानत पर हैं। हार्दिक के विरुद्ध दर्ज राजद्रोह के मामले में अहमदाबाद शहर सत्र न्यायालय में मुकदमा जारी है।
माणसा के अलावा हार्दिक के खिलाफ वर्ष 2017 में पाटण जिले के सिद्धपुर में भी सरकारी आदेश के उल्लंघन का एक अन्य मामला भी दर्ज है।