आरक्षण का अमल नहीं करने पर आईआईएम-ए, केन्द्र सरकार को नोटिस
एफपीएम कोर्स में नहीं होता अमलीकरण
अहमदाबाद. गुजरात उच्च न्यायालय ने भारतीय प्रबंध संस्थान-अहमदाबाद (आईआईएम-ए) के फेलो प्रोग्राम इन मैनेजमेंट (एफपीएम) के कोर्स के दाखिले में आरक्षित वर्गों के अमलीकरण नहीं करने के मामले में केन्द्र सरकार, आईआईएम-ए के गवर्निंग काउंसिल के चेयरमैन, आईआईएम-ए के निदेशक, राज्य सरकार के सोसाइटी रजिस्ट्रार को नोटिस जारी किया है।
ग्लोबल आईआईएम अल्युमनाई नेटवर्क की ओर से दायर जनहित याचिका में यह कहा गया कि आईआईएम-अहमदाबाद में एफपीएम कोर्स में अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), अत्यंत पिछड़े वर्ग (ओबीसी) व विकलांग उम्मीदवारों के आरक्षण का अमलीकरण नहीं किया जाता।
आईआईएम से पढ़े करीब 200 सदस्यों के इस समूह ने यह याचिका उन योग्य और वंचित उम्मीदवारों के लिए दायर की है जो उच्च स्तर पर प्रबंधन की पढ़ाई करना चाहते हंैं। याचिका के मुताबिक वर्ष 1961 में स्थापित इस संस्थान ने संवैधानिक और वैधानिक प्रावधानों की पालना नहीं की है। इस संस्थान में यह डॉक्टरल प्रोग्राम-एफपीएम की शुरुआत वर्ष 1971 में की गई, लेकिन तब से लेकर अब तक आरक्षण नीति का पालन नहीं किया गया। यह उच्च शिक्षा विभाग की ओर से अनिवार्य नियमन, केन्द्रीय शैक्षणिक संस्थान ( नामांकन में आरक्षण) अधिनियम, 2006 का उल्लंघन है। इस अधिनियम के एक दशक से ज्यादा बीतने के बाद भी संस्था ने इसे लागू नहीं किया। इसके अलावा हाल ही में आईआईएम विधेयक का भी अमलीकरण नहीं किया। इस संबंध में याचिकाकर्ता की ओर से गत वर्ष अगस्त महीने में ई-मेल किया गया था।
आईआईएम-बैंगलूरू ने अपने यहां इस प्रोग्राम के लिए वर्ष 2018-19 के लिए आरक्षण नीति को लागू करने का फैसला लिया है वहीं आईआईएम-अहमदाबाद ने इस प्रोग्राम के लिए विज्ञापन जारी किया, लेकिन इसमें आरक्षण नीति का पालन नहीं किया हगया है।
इस संबंध में याचिकाकर्ता की ओर से आईआईएम-अहमदाबाद गत वर्ष अगस्त में ई-मेल किया गया था वहीं कई बार पत्र भी लिखा गया। इसमें कहा गया था कि आईआईएम-ए में शोध व अध्यापन स्तर पर विविधता और अन्य वंचित लोगों को लगातार प्रतिनिधित्व मिल रहा है। समाज के विकास में इन वर्गों की अहम भूमिका है।