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अहमदाबाद

हिन्दू आध्यात्मिक व सेवा मेला शुरू

315 से अधिक सेवा-संस्थाओं के 400 से अधिक स्टॉल पर सामाजिक कार्यों को प्रदर्शित किया

अहमदाबादJan 05, 2018 / 11:15 pm

Rajesh Bhatnagar

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अहमदाबाद. हरिद्वार स्थित जूना अखाड़ा के जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने कहा कि हिन्दू धर्म व दुर्बलों की संस्कृति नहीं, जीवन पद्धति है। यहां गुजरात यूनिवर्सिटी मैदान पर नरसिंह मेहता नगर में हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा फाउंडेशन की गुजरात इकाई की ओर से भारत की प्रथम हेरिटेज सिटी अहमदाबाद में पहली बार आयोजित हिंदू आध्यात्मिक और सेवा मेले के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए शुक्रवार को उन्होंने यह बात कही।
उन्होंने कहा कि पूरे विश्व को कुटुंब, परिवार का सदस्य मानने वाला हिन्दू है। तीन शब्द-अर्पण, तर्पण व समर्पण को भारत की संस्कृति बताते हुए उन्होंने कहा कि पश्चिम के लोग ये तीनों शब्द नहीं जानते। कुछ दुर्बलताओं के कारण आक्रांतकारी भारत में आए, लेकिन हिन्दू संस्कृति उपद्रवों से बचाने की रही है। योग को संयुक्त महासभा ने और कुंभ मेले को यूनाइटेड नेशन ने स्वीकार किया है।
अध्यक्षता करते हुए कथाकार रमेशभाई ओझा ने कहा कि मानव का मानव से व्यवहार, मनुष्य का जीव सृष्टि के साथ व्यवहार, मानव का प्रकृति के साथ व्यवहार कैसा हो यहा सीखने की आवश्यकता है। विरुद्ध विचारधारा वाले लोग मिलने पर सुरक्षा के लिए लडऩा धर्म व अधिकार है, लेकिन यह हमें अकारण आक्रमण करना नहीं सिखाते। उन्होंने कहा कि अन्य विचारधाराओं का आदर व अपने धर्म व विचारधारा पर गर्व होना चाहिए। मुय वक्ता फाउंडेशन के संस्थापक व स्वदेशी जागरण मंच के सह संयोजक सीए एस. गुरुमूर्ति ने बताया कि विदेशी सुरक्षा नीति के विशेषज्ञ अजीत डोभाल की मौजूदगी में अहमदाबाद में वर्ष 2005 में 150 लोगों की बैठक में फाउंडेशन की स्थापना की चर्चा की गई। उन्होंने बताया कि देश में एक समय 48 प्रतिशत वन थे, वर्तमान में मात्र 18 प्रतिशत वन बचे हैं। हिन्दुत्व को संस्कार, सिविलाइजेशन, अस्तित्व है मानकर पर्यावरण व इकोलॉजी को बचाने व संरक्षण के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सहयोग से फाउंडेशन की स्थापना की गई। देश में अब तक 13 राज्यों में 24 मेले आयोजित किए जा चुके हैं। सिविलाइजेशन का मूवमेंट बन चुके ऐसे मेलों की श्रृंखला में अब यूएस के ह्यूस्टन में अगले वर्ष ऐसा ही मेला आयोजित करने की योजना है।
अयोध्यापुरम के जैनाचार्य जिनचंदसागर सूरीश्वर व आचार्य हेमचंद्रसागर सूरीश्वर (बंधु बेलडी) भी उद्घाटन कार्यक्रम में मौजूद थे। आचार्य हेमचंद्रसागर सूरीश्वर ने कहा कि भारत केवल जमीन का टुकड़ा नहीं, स्वयं महातीर्थ भूमि है। जहां-जहां तीर्थ भूमि हो, वहां सकारात्मकता होती है, आध्यात्म का मंगल होता है। हिन्दू, आध्यात्म, सेवा से भारत की पहचान होती है। हिन्दू समाज है, धर्म नहीं। हिन्दू शब्द समृद्धवादी है। एक भव से दूसरे भव में आत्मा जाती है, ऐसी मान्यता को मानने वाले हिन्दू हैं, पूर्व व पुनर्जन्म को स्वीकारने वाले हिन्दू हैं और इसे स्वीकार ना करने वाले हिन्दू नहीं कहे जा सकते। आत्मा, आध्यात्मिकता वाली हिन्दू संस्कृति है। उन्होंने कहा कि हम पहले हिन्दू फिर जैन हैं।
उद्घाटन समारोह की शुरुआत में गोपूजन के साथ सोला भागवत विद्यापीठ गोशाला के अश्विन के. राजगोर के नेतृत्व में 50 से अधिक बालकों ने मंत्रोच्चार किया। फाउंडेशन के संत मार्गदर्शक मंडल के संयोजक व हिन्दू धर्म आचार्य सभा के अखिल भारतीय संयोजक व महामंत्री स्वामी परमात्मानंद सरस्वती, अखिल भारतीय संत समिति के अध्यक्ष आचार्य अविचलदास, मणिनगर गुरुद्वारे के ज्ञानी हरप्रीतसिंह, जगन्नाथ मंदिर के महंत दिलीपदास आदि संत-महंत, फाउंडेशन की राजस्थान इकाई के सचिव सोमकांत शर्मा भी मंच पर मौजूद थे। फाउंडेशन की गुजरात इकाई के अध्यक्ष सीए पंकज मोदी ने स्वागत भाषण दिया। सचिव नारायण मेघाणी ने आभार जताया।
मेले के उद्घाटन से पहले सैंकड़ों वृद्धाओं, महिलाओं, युवतियों व कन्याओं ने सिर पर कलश व नारियल रखकर यात्रा निकाली और आयोजनस्थल पर कैलाश पर्वत-गंगा अवतरण की प्रतिकृति के समक्ष पहुंचकर जलार्पण किया। तुलसी पूजन, गोपूजन, कन्या व कुमार पूजन भी किया गया। बाइक सवार सैकड़ों युवक रैली निकालकर आयोजन स्थल पर पहुंचे। सामाजिक समरसता बढ़ाने के लिए मेले में दिनभर 11 यज्ञ कुंडों पर युगलों ने हवन किया। आगामी 8 जनवरी तक चलने वाले मेले में चयनित 315 से अधिक सेवा-संस्थाओं के 400 से अधिक स्टॉल पर सामाजिक कार्यों को प्रदर्शित किया गया है।
यह बने आकर्षण के केंद्र
आयोजन स्थल पर कबड्डी, वालीबॉल आदि प्राचीन खेल में हिस्सा ले रहे विभिन्न विद्यालयों के छात्र-छात्राएं, ‘अर्वाचीन विलेजÓ, 35 फीट ऊंचा शिवलिंग, सोमनाथ मंदिर में भगवान शिव के जीवंत दर्शन की व्यवस्था, खोडलधाम, संतराम मंदिर, शेत्रुंजय की प्रतिकृति आकर्षण का केंद्र बने। बीएसएफ की ओर से शस्त्रों की प्रदर्शनी, रिमोट कंट्रोल संचालित विमान, एयर गन का जीवंत प्रदर्शन, इसरो के लांचिंग पेड की प्रतिकृति, गुजरात एनसीसी के अतिरिक्त महानिदेशक मेजर जनरल डॉ. सुभाष सरन व कर्नल वी. श्रीनिवास के निर्देशन में कैडेटों की प्रस्तुति भी आकर्षण का केंद्र रही।
शनिवार सवेरे 9.30 बजे से कन्या वंदन व सुवासिनी वंदन कार्यक्रम सूरत के समाजसेवी लवजी डालिया (बादशाह), नेपाल की पूर्व राजकुमारी व वडोदरा की पूर्व महारानी अशाराजे गायकवाड़, जीवदया ट्रस्ट की अध्यक्षा गीरा शाह, डीसा स्थित रामपुरा मठ के स्वामी निर्मलपुरी महंत की मौजूदगी में होगा। दोपहर 2 बजे से आध्यात्म, धर्म व संप्रदाय विषय पर सेमिनार स्वामी परमात्मानंद सरस्वती, चिन्मय मिशन के आचार्य स्वामी मित्रानंद, एसजीवीपी गुरुकुल के माधवप्रिय स्वामी, एनसीईआरटी के प्रो. शंकर शरण, इंडियन कौंसिल फॉर फिलोसॉफिकल रिसर्च के सदस्य सचिव प्रो. रजनीश शुक्ल की मौजूदगी में आयोजित होगा। दोपहर दो बजे से ही भूमिपुत्र समेलन होगा। रात को संस्कार वंदन कार्यक्रम प्रस्तुत किया जाएगा।

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