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अहमदाबाद

Ahmedabad News डाइट प्लान को लेकर आईआईएमए की रिसर्च में सामने आए चौंकाने वाले तथ्य

IIMA, diet plan, research, CMHS, diabetes, obesity, hypertension, डॉक्टर के डाइट प्लान का घर में कोई भी नहीं करता है पालन: आईआईएम-ए रिसर्च
 

अहमदाबादNov 25, 2019 / 11:20 pm

nagendra singh rathore

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Ahmedabad News डाइट प्लान को लेकर आईआईएमए की रिसर्च में सामने आए चौंकाने वाले तथ्य,Ahmedabad News डाइट प्लान को लेकर आईआईएमए की रिसर्च में सामने आए चौंकाने वाले तथ्य

अहमदाबाद. मधुमेह हो या मोटापा इनके उपचार के लिए चिकित्सा से ज्यादा चिकित्सक जीवनशैली, खानपान में बदलाव और कसरत का सुझाव देते हैं। रोगी की तबियत बिगड़ती है तो वह चिकित्सक के क्लीनकल पर जाकर डाइटीशियन की ओर से दिए जाने वाले प्लान की पालना की भी बात करता है, लेकिन घर आते ही उस प्लान की कोई परवाह नहीं होती।
यह तथ्य भारतीय प्रबंध संस्थान अहमदाबाद (आईआईएम-ए) के सेंटर फॉर मैनेजमेंट ऑफ हेल्थ सर्विस (सीएमएचएस) की ओर से किए जा रहे रिसर्च में सामने आया है।
आईआईएम-ए के सीएमएचए सेंटर के अध्यक्ष प्रो.डॉ.राजेश चंदवानी ने बताया कि उनके विद्यार्थियों की ओर से किए गए रिसर्च में सामने आया कि डॉक्टर की ओर से बताए गए डाइट प्लान (चार्ट) का कोई भी व्यक्ति घर जाकर पालना नहीं करता है।
अहमदाबाद के एक हाई प्रोफाइल क्लीनिक में डाइबिटीज के रोगियों को सुझाए जाने वाले डाइट प्लान की पालना को लेकर यह सर्वे व रिसर्च किया गया।
सौ लोगों पर यह रिसर्च किया गया। जब क्लीनिक में लोगों से पूछा तो ९० फीसदी ने कहा कि वे डाइट प्लान के अनुसार ही भोजन करते हैं। लेकिन जब घर जाकर इस बारे में उन्हीं से दोबारा पूछा गया तो सामने आया कि शून्य फीसदी यानि कोई भी व्यक्ति डॉक्टर के बताए डाइट प्लान की पालना नहीं कर रहा था। यानि डाइट प्लान की पालना शून्य प्रतिशत पाई गई। ऐसा ही मोटापे के शिकार लोगो के मामले में भी होना संभव है।
यह दर्शाता है कि हमें चाहे मोटापा हो या मधुमेह उनके शिकार लोगों को चिकित्सा के साथ उनकी जीवनशैली को बदलने के लिए उनके घर के माहौल से शुरूआत करनी होगी। जीवनशैली, खानपान को बदलना आसान नहीं होता है। रिसर्च में यह भी सामने आया कि यदि परिवार के किसी मुखिया पुरुष को कोई बीमारी होती है और यदि वह मानता है कि उसके खानपान में कुछ बदलाव किया जाए तो परिवार के खानपान में बदलाव ज्यादा होता है। पूरा परिवार उसे अपनाने की कोशिश करता है, लेकिन महिला के मामले में ऐसा कम होता है। क्योंकि महिला खुद रसोई की मुखिया होती है वह अपने लिए अलग से कुछ नहीं बनाती। अलग से रसोई घर में कुछ बनाने का चलन हमारे यहां कम है।

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