दक्षिण के राज्यों में कर्नाटक में सबसे ज्यादा 6.6, केरल में 5.1, तमिलनाडु और तेलंगाना में 4.2, महाराष्ट्र में 4.8, तो गुजरात में 4.1 फीसदी लोग बेटियां चाहते चाहते हैं। पंजाब में सिर्फ 1.9 फीसदी ही बेटियों को प्राथमिकता देते हैं। झारखंड और ओडिशा में यह 2 फीसदी है जबकि राजस्थान में 2.1 फीसदी, बिहार में 2.8 फीसदी, त्रिपुरा में 2.6 फीसदी लोग बेटे की बजाय बेटियां चाहते हैं।
नहीं बदल रही सोच
अभी भी समाज में लोगों की सोच नहीं बदल पा रही है। आज भी परिवार के लोग राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक क्षेत्र में बेटियों की अपेक्षा बेटों की सफलता पर ज्यादा खुश होते हैं। इसके लिए महिलाओं को राजनीति में आना जरूरी है। हम किसी दुकान का नाम … एंड संस की बजाय… एंड डॉटर्स क्यों नहीं रखते।
– गौरांग जानी, वरिष्ठ समाजशास्त्री, अहमदाबाद
बेटा -बेटी एक समान
समाज में अभी भी पुराना ढर्रा कायम है जिसमें यह सोचा जाता है कि वंशवाद को आगे बढ़ाने में बेटों की ही भूमिका होती है। लेकिन ऐसा नहीं है। बेटा हो या बेटी दोनों एक समान है। दोनों वंश को आगे लेकर जा सकते हैं।
– डॉ अजय चौहाण, अधीक्षक, मानसिक रोग अस्पताल, अहमदाबाद
यहां बेटियों की चाहत ज्यादा (फीसदी)
गोवा 3.1
हिमाचल प्रदेश 7.5
उत्तराखंड 8.4
पंजाब 9.9
पुद्दुचेरी 11.3
मिजोरम 37.3
लक्षद्वीप 34.0
मणिपुर 32.6
नागालैण्ड 28.2
अरुणाचल प्रदेश 22.8
सिक्किम 22.3