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अहमदाबाद

NFHS-5: बेटियों की अपेक्षा बेटों की चाहत लोगों में चार गुना ज्यादा

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अहमदाबादMay 24, 2022 / 07:45 pm

Uday Kumar Patel

NFHS-5: बेटियों की अपेक्षा बेटों की चाहत लोगों में चार गुना ज्यादा

NFHS-5: बेटियों की अपेक्षा बेटों की चाहत लोगों में चार गुना ज्यादा


उदय पटेल

बदलते जमाने में लाख कोशिशों के बाद भी बेटियों की अपेक्षा बेटों की चाह लोगों के दिमाग में अटकी है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस)-5 में यह बात सामने आई है। सर्वे के मुताबिक देश में करीब 16 फीसदी लोग बेटियों की बजाय बेटे चाहते हैं। इनमें 15.4 फीसदी महिलाएं और 16 फीसदी पुरुष शामिल हैं।
हालांकि 2015-16 में एनएफएचएस के चौथे सर्वे में 18.5 फीसदी महिलाएं और 19 फीसदी पुरुष ऐसा चाहते थे। 40 से 49 वर्ष की महिलाओं में इसकी चाहत अधिक दिखाई देती है। विशेषज्ञ इसका कारण अभी भी पुरुष प्रधान मानसिकता वाले समाज को मानते हैं। साथ ही महिलाओं में शिक्षा और रोजगार की कमी भी प्रमुख कारणों में है।
केन्द्र शासित प्रदेशों को छोडकऱ इन आंकड़ों को देखें तो पता चलता है कि बेटियों की बजाय बेटों की सबसे ज्यादा चाहत मिजोरम के लोगों में 37.3 फीसदी हैं। मणिपुर (32.6 फीसदी), नागालैण्ड (28.2 फीसदी), अरुणाचल प्रदेश (22.8 फीसदी) व सिक्किम (22.3 फीसदी) सहित उत्तर पूर्व के कुछ राज्यों में भी यही स्थिति है।
यूपी में 22.4, बिहार में 22, पश्चिम बंगाल में 19.2, गुजरात में 16.2, छत्तीसगढ़ में 16.3, कर्नाटक में 16, राजस्थान में 15.9, तो मध्य प्रदेश में 12.6 लोग बेटियों की बजाय बेटे को प्राथमिकता देते हैं।
गोवा में सिर्फ 3.1, उत्तराखंड 8.4, हिमाचल प्रदेश 7.5 फीसदी, पंजाब 11.3 फीसदी, आंध्रप्रदेश 11.4 तो महाराष्ट्र में 11.5 फीसदी में यह राष्ट्रीय औसत से कम है।

मेघालय में बेटियों की चाहत ज्यादा
बेटों के बजाय बेटियां चाहने वाले आंकड़ों पर गौर करें तो देश में सिर्फ चार फीसदी लोग ही ऐसा चाहते हैं। बेटियों की चाहत सबसे ज्यादा 21.2 फीसदी मेघालय में देखी गई। सिक्किम में 10, मिजोरम में 8.6, नागालैण्ड में 7.4, तो जम्मू कश्मीर में 7 फीसदी व लद्दाख में 6.1 फीसदी लोगों में बेटियों के प्रति चाहत ज्यादा दिखी।
दक्षिण के राज्यों में भी बेटियों की चाहत
दक्षिण के राज्यों में कर्नाटक में सबसे ज्यादा 6.6, केरल में 5.1, तमिलनाडु और तेलंगाना में 4.2, महाराष्ट्र में 4.8, तो गुजरात में 4.1 फीसदी लोग बेटियां चाहते चाहते हैं। पंजाब में सिर्फ 1.9 फीसदी ही बेटियों को प्राथमिकता देते हैं। झारखंड और ओडिशा में यह 2 फीसदी है जबकि राजस्थान में 2.1 फीसदी, बिहार में 2.8 फीसदी, त्रिपुरा में 2.6 फीसदी लोग बेटे की बजाय बेटियां चाहते हैं।

नहीं बदल रही सोच
अभी भी समाज में लोगों की सोच नहीं बदल पा रही है। आज भी परिवार के लोग राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक क्षेत्र में बेटियों की अपेक्षा बेटों की सफलता पर ज्यादा खुश होते हैं। इसके लिए महिलाओं को राजनीति में आना जरूरी है। हम किसी दुकान का नाम … एंड संस की बजाय… एंड डॉटर्स क्यों नहीं रखते।
– गौरांग जानी, वरिष्ठ समाजशास्त्री, अहमदाबाद

बेटा -बेटी एक समान
समाज में अभी भी पुराना ढर्रा कायम है जिसमें यह सोचा जाता है कि वंशवाद को आगे बढ़ाने में बेटों की ही भूमिका होती है। लेकिन ऐसा नहीं है। बेटा हो या बेटी दोनों एक समान है। दोनों वंश को आगे लेकर जा सकते हैं।
– डॉ अजय चौहाण, अधीक्षक, मानसिक रोग अस्पताल, अहमदाबाद

यहां बेटियों की चाहत ज्यादा (फीसदी)
गोवा 3.1
हिमाचल प्रदेश 7.5
उत्तराखंड 8.4
पंजाब 9.9
पुद्दुचेरी 11.3
यहां बेटों को तवज्जो (फीसदी)
मिजोरम 37.3
लक्षद्वीप 34.0
मणिपुर 32.6
नागालैण्ड 28.2
अरुणाचल प्रदेश 22.8
सिक्किम 22.3

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