इस संबंध में श्रीराम ग्रीन शिप रिसाइकिलिंग इंडस्ट्रीज के मालिक व युद्धपोत को तोड़े जाने के लिए खरीदने वाले मुकेश पटेल ने कहा कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की गरिमा का ध्यान रखते हुए फिलहाल युद्धपोत को तोड़े जाने का काम पूरी तरह रोक दिया है। फिलहाल उन्हें नोटिस की प्रति नहीं मिली है। नोटिस की प्रति मिलने के बाद इस संबंध में उचित जवाब पेश किया जाएगा। मुंबई की फर्म एन्विटेक मरीन कंसलटेन्ट्स प्रा. लि की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर रोक का आदेश दिया गया है।
इस युद्धपोत को म्यूजियम बनाने की पहल को लेकर पत्रिका के साथ-साथ टूर्स एंड ट्रेवल एसोसिएशन ऑफ गुजरात ने मुद्दा उठाया था। इसे लेकर सबसे पहले गत वर्ष सितम्बर महीने में पत्रिका ने प्रकाशित किया था जिसमें यह कहा गया था कि विदेशों की तर्ज पर तोडऩे की बजाय आईएनएस विराट को म्यूजियम बनाया जाए। इसके बाद लगातार पत्रिका ने करीब दर्जन भर खबरेंं प्रकाशित की। इसके तहत मुंबई की फर्म से लेकर राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी की मांग को भी आवाज दी।
आईएनएस विराट ब्रिटिश नौसेना में एचएमएस हर्मिश के रूप में वर्ष 1959 से लेकर 1984 तक अपनी सेवा दे चुका है। इसके बाद इसे भारतीय नौ सेना में शामिल किया गया। यह भारत का सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाला युद्धपोत है।
और बढ़ेगी भारत की शान टूर्स एंड ट्रेवल एसोसिएशन ऑफ गुजरात के सचिव मनीष शर्मा के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट का आदेश स्वागत योग्य है। फिलहाल यह युद्धपोत करीब 40 फीसदी टूट चुका है। इसे लेकर सरकार को पहले ही मंशा स्पष्ट करनी चाहिए थी। यदि इसे म्यूजियम बनाया जाता है तो इससे लोगों को देशभक्ति की भावना और प्रबल होगी। साथ ही इसे हेरिटेज के रूप में रखने पर भारत की शान बढ़ेगी।