चुनाव से इस यात्रा का लेना-देना नहीं शनिवार को प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा कि कांग्रेस की इन दिनों सबसे बड़ी चुनौती गुजरात चुनाव है। इस चुनाव में पार्टी को भाजपा का मुकाबला करना है।
यह पूछे जाने पर कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा चुनावी माहौल में गुजरात में क्यों नहीं हो रही, इसके जवाब में रमेश ने कहा कि यह यात्रा चुनाव केन्द्रित नहीं है। इसलिए यदि यह यात्रा गुजरात से गुजरती तो इससे चुनावी अभियान पर नकारात्मक असर पड़ता।
उन्होंने कहा कि भारत जोड़ो यात्रा को चुनाव से जोडऩा ठीक नहीं है। विधानसभा चुनावों के साथ इसका कोई लेना देना नहीं है। चुनाव को मद्देनजर यह यात्रा नहीं निकाली गई है। चुनाव से इसका कोई लेना-देना नहीं है। रमेश ने कहा कि यात्रा की सही में शुरुआत अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से हुई। राहुल गांधी यात्रा पर निकलने से 5 सितम्बर को अहमदाबाद के साबरमती आश्रम गए थे।
राहुल गांधी गुजरात आएंगे रमेश ने कहा कि यदि गुजरात प्रदेश कांग्रेस समिति आग्रह करेगी तो राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा के ब्रेक में जरूर आएंगे। संगठन को मजबूत करना उद्देश्य उन्होंने कहा कि भारत जोड़ो यात्रा का उद्देश्य संगठन मजबूत करना है। उदयपुर के चिंंतन शिविर में इसकी प्लांिनंग हुई थी। यात्रा को अभूतपूर्व रिस्पांस मिल रहा है। कांग्रेस संगठन में नया उत्साह दिखाई दे रहा है।
कांग्रेस का जन संपर्क कार्यक्रम भारत जोड़ो यात्रा को इसे विश्व भर में किसी भी राजनीतिक दल की ओर से सबसे लंबी पदयात्रा बताते हुए कहा कि यह कांग्रेस के संगठन को मजबूत करने के लिए निकाली गई यात्रा है। उन्होंने बताया कि तमिनलाडु से शुरु होते हुए यह यात्रा अभी केरल में है। कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक की 3570 किलोमीटर लंबी यात्रा में अब तक 340 किलोमीटर की यात्रा पूरी हो चुकी है। इस यात्रा में साढ़े पांच महीने लगेंगे। इस यात्रा को कांग्रेस को तमिलनाडु व केरल में जबरदस्त प्रतिसाद मिला है।
इसके बाद यह यात्रा कर्नाटक, तेलंगाणा, आंध्र, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, जम्मू-कश्मीर सहित 11 राज्यों से होकर गुजरेगी। यदि यह यात्रा सफल होती है तो अगले साल हो सकता है पश्चिम से पूर्व मतलब गुजरात के पोरबंदर से लेकर अरुणाचल प्रदेश के परशुराम कुंड तक यह यात्रा निकाली जाएगी।