पुराने पेपर, मॉक टेस्ट सफलता में मददगार: मीत
देश में 28 वीं रैंक पाने वाले मीत पारेख बताते हैं कि पुराने वर्ष के पेपर और मॉक टेस्ट से उन्हें काफी मदद मिली। वे कक्षा 7 से ही कंप्यूटर विषय में रुचि रखते हैं,जिससे आईआईटी बॉम्बे से कंप्यूटर साइंस में बीटेक करना उनकी पहली प्राथमिकता है। पिता मार्केटिंग मैनेजर हैं। अब अगला लक्ष्य जेईई एडवांस की तैयारी है। मां ज्योति गृहिणी हैं।000000
ईमानदारी से करें मेहनत: हर्षल
देश में 44वीं रैंक लाने वाले हर्षल कानाणी बताते हैं कि ईमानदारी से दो साल तक मेहनत करने से सफलता जरूर मिलेगी। पुराने साल के पेपर से कॉन्सेप्ट क्लियर होता है। वे आईआईटी से एयरो स्पेस इंजीनियरिंग में बीटेक करना चाहते हैं। पिता भरत व्यापारी हैं। मां धर्मिष्ठा गृहिणी हैं। राजकोट के हर्षल का अगला लक्ष्य जेईई एडवांस है।
आत्मविश्वास अहमः द्विजा
राजकोट की द्विजा पटेल ने राजकोट की द्विजा पटेल ने ऑल इंडिया रैंक 58 पाई है। द्विजा ने टॉपर्स में नाम दर्ज कराया है। वे बताती हैं कि सफलता के लिए जरूरी है कि खुद पर विश्वास रखें। ईमानदारी से तैयारी करें। पिता धर्मेश शिक्षक हैं और मां किरण गृहिणी हैं। वे आईआईटी बॉम्बे से कंप्यूटर साइंस करना चाहती हैं।
पहले बेसिक करें मजबूत फिर एडवांस पर दें ध्यान: श्रेय
देश में 141 वीं रैंक लाने वाले श्रेय नायकपरा का कहना है कि सफलता के लिए जरूरी है कि पहले सभी विषयों का बेसिक मजबूत करें फिर एडवांस स्तर के सवालों पर ध्यान दें। अतिरिक्त संदर्भ पढ़ने से बचें एनसीईआरटी किताबों से ही तैयारी करें। पुराने पेपर और मॉक टेस्ट ज्यादा से ज्यादा दें। इससे 50 फीसदी तक तैयारी हो जाती है। जामनगर के श्रेय के पिता हिरेन कैमिकल इंजीनियर हैं।
खुद के प्रति रहें ईमानदार: रोहन
देश में 472 वीं रैंक लाने वाले रोहन शुक्ला बताते हैं कि सफलता के लिए जरूरी है कि लक्ष्य के प्रति समर्पण भाव रखें। खुद के प्रति ईमानदार रहते हुए तैयारी करें। एनसीईआरटी किताबों से तैयारी करें और पुराने पेपर हल करें। पिता रामप्रकाश इलैक्टि्रकल इंजीनियर हैं, जबकि मां नीरू शुक्ला सिविल इंजीनियर हैं। वे भी आईआईटी बॉम्बे से सिविल इंजीनियरिंग करना चाहते हैं। अगला लक्ष्य जेईई एडवांस है।