इन दंगों में इन दोनों दोस्तो ने अपना सब कुछ गंवा दिया लेकिन दोनों ने अपनी दोस्ती पर एक भी आंच नहीं आने दी। असामाजिक तत्वों ने इनके मकानों को आग लगा दी, लेकिन इसके बावजूद दोनों मित्र जले हुए मकान से अपने जरूरत का सामान बिनकर अपने बेतरतीब आसियाने को एक बार फिर से एक करने की कोशिश में लगे हैं।
कुछ दिन पहले दो समुदायों के बीच जो जहर फैला दी गई थी, उसके बीच सत्तार व प्रवीणभाई की दोस्ती एक सुकून देती दिखती है। दोनों बचपन में गहरे दोस्त हैं। दोनों के मकान हिंसा की चपेट में जला दिए गए। मकान जलाकर सामान लूट लिया गया। उनके धंधे-रोजगार भी चौपट हो गए। उनके पास अब सिर्फ पहने हुए कपड़े ही बचे हैं। दोनों को अपने घर का मंजर काफी डरावना दिखता है, लेकिन दोनों इस डर के बीच भी एक दूसरे के साथ कंधे से कंधे मिलाकर आसियाने को फिर से जोडऩे में लग गए हैं।