एसएसएसयू के वाइस चांसलर डॉ. गोपबंधु मिश्रा ने कहा कि इन पाठ्यक्रमों के जरिए कानून के छात्र यजावल्कयस्मृति, मनु स्मृति, मिताक्षरा, दयाभागा और कौटिल्य का अर्थशा जैसे प्राचीन शास्त्र में उपलब्ध कानून और न्याय प्रक्रिया को जानने और समझने का मौका मिलेगा। कानून की अत्याधुनिकता के साथ-साथ वे हमारी समृद्ध कानूनी विरासत का ज्ञान भी हासिल कर सकेंगे।
गौरतलब है कि जीएनएलयू में भारत की प्राचीन कानूनी विरासत के विभिन्न पहलुओं और मौजूदा कानूनी प्रणाली का गहन अध्ययन करने और शोध के लिए सेन्टर फोर लीगल हिस्ट्री, फिलोसॉफी एंड ट्रेडिशन उपलब्ध है। साथ ही कानूनी इतिहास का संग्रहालय भी है। इस समझौते के मौके पर जीएनएलयू के रजिस्ट्रार डॉ. जगदीशचन्द्र टी.जी. उपस्थित थे।