साबरमती आश्रम प्रिजर्वेशन एंड मेमोरियल ट्रस्ट के प्रशासक अतुल पंड्या के मुताबिक प्रतिदिन करीब ढाई से तीन हजार लोग यहां घूमने आते हैं। वहीं वर्ष में करीब दस लाख लोग घूमने आते हैं। इनमें देश-विदेश के लोग शामिल हैं। गांधी जयंती, 15 अगस्त या अन्य राष्ट्रीय दिवस के साथ-साथ सार्वजनिक अवकाश के दिन यह संख्या ज्यादा भी हो जाती है।
उन्होंने बताया कि इतने वर्षों बीत जाने के बाद भी गांधीजी की प्रासंगिकता बनी हुई है क्योंकि यहां आने वाले बच्चे, युवक-युवतियां, महिलाएं, वृद्ध सभी उम्र के लोग होते हैं हालांकि युवाओं में बापू की लोकप्रियता बढ़ते जाने के संकेत दिखते हैं। स्कूली बच्चों की संख्या ज्यादा होती है। कई स्कूल बस लेकर बच्चों को यहां घूमने और बापू के बारे में सिखाने को लाते हैं।
बापू के जीवन आदर्श और उनसे सीख को लेकर देश के साथ-साथ दुनिया में उनके प्रशंसक लगातार बढ़ते जा रहे हैं। देश के लगभग हरेक हिस्से और विदेशों से भी पर्यटक यहां आते हैं और बापू की कार्य स्थली को देखकर एक सुखद एहसास होता है। असम से आए एक परिवार ने बताया कि उन्होंने आज तक सिर्फ किताबों में गांधी के बारे में पढ़ा था, लेकिन आज यहां आकर गांधीजी की कर्म स्थली को देखकर काफी अच्छा महसूस होता है।
पंड्या यह भी बताते हैं कि यहां पर आने वाले पर्यटकों को ठीक-ठीक अंदाज लगाना थोड़ा मुश्किल है क्योंकि यहां आने वालों के लिए कोई टिकट नहीं लगता। ऐसे में यहां पर आने वाले लोगों की सही संख्या का पता नहीं चल पाता।