ऐसे काम करता है उत्पाद में सूक्ष्म शैवाल जीवित अवस्था में रहते हैं। बिना केमिकल के इसे प्राकृतिक तरीके से विकसित किया जाता है। यह द्रव (जेल) के रूप में रहता है। उत्पाद की बुवाई करने से पहले की जाने वाली परेवट के दौरान पानी में घोलकर खेत में डाला जाता है। एक एकड़ में एक किलो पर्याप्त है। इसे एक बार डालने पर छह महीने से एक वर्ष तक काम करता है।
ये सूक्ष्म जीवित शैवाल खेत में जाने के बाद मिट्टी में जीवित रहकर प्रदूषित पानी में रहने वाले सीओडी (कैमिकल ऑक्सिडेशन डिमांड), बीओडी (बायोलॉजिकल ऑक्सिडेशन डिमांड) को खत्म करते हैं। अमोनिया और फास्फोरस भी खाते हैं। धातु आयन (हैवी मेटल) को क्षीण करते हैं। फसल के विकास में मददरूप बैक्टीरिया को मजबूत करते हैं। सूक्ष्म शैवाल में सूर्य के प्रकाश को लेकर ऑक्सीजन देने की शक्ति होती है। इसमें नाइट्रोजन ऑर्गेनिक होती है, जिससे पैदावार बढ़ाने में भी कारगर होता है।
शुद्ध सब्जी, धान मिलने से गंभीर बीमारियों से भी बचाव इस उत्पाद के जरिए ऐसे किसान पानी की कमी के चलते प्रदूषित पानी से सब्जी, धान की फसल सिंचित करते हैं। इससे सिंचित होने के चलते प्रदूषित कण सब्जियों व धान में आ जाते हैं। उन्हें खाने से यह हमारे शरीर के अंदर भी आ जाते हैं। जिससे कैंसर, डायरिया व अन्य कई प्रकार की गंभीर बीमारियां होने का खतरा रहता है। ऐसे खतरे को कम किया जा सकता है। इससे जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा।
झांसी की झील, मौसम नदी,अलीगढ़ के एक तालाब कर चुके हैं शुद्ध ईडीआईआई क्रेडल की मदद से विकसित इस स्टार्टअप के जरिए विकसित सूक्ष्म शैवाल आधारित उत्पाद से उत्तरप्रदेश के झांसी की झील और अलीगढ़ के एक तालाब को प्रदूषण मुक्त कर चुके हैं। महाराष्ट्र की मौसम नदी भी शुद्ध कर चुके हैं। इन्हें वाइब्रेंट गुजरात समिति में अवार्ड भी मिल चुका है। बीआईआरएसी से ५० लाख, गुजरात सरकार से २० लाख और एक निजी बैंक से 21 लाख रुपए की आर्थिक मदद भी प्राप्त कर चुके हैं।