सहयोग करें कॉर्पोरेट सेक्टर
संगीत नाटक अकादमी प्राप्त भट्ट ने बताया कि देश के बड़े-बड़े कॉर्पोरेट सेक्टर को शास्त्रीय संगीत को प्रचारित-प्रसारित करने में सहयोग करना चाहिए। सप्तक जैसी निस्वार्थ भाव से शास्त्रीय संगीत की सेवा में लगी संस्थाओं के लिए इन्हें मदद करनी चाहिए। इन्हें कोई लाभ नहीं होता है। ये संस्थाएं सिर्फ श्रोताओं के लिए करते हैं। खुद अपना पैसा लगाकर यह आयोजन करते हैं। यदि कॉरपोरेट सेक्टर थोड़ा ध्यान दें, जो इतना सारा पैसा क्रिकेट में लगाते हैं। कॉरपोरेट सेक्टर यदि थोड़ा पैसा भी इधर लगाएं तो शास्त्रीय संगीत लोकप्रिय बन सकेगा।
औद्योगिक घराना संगीत के परिवार को गोद लें
महान सितारवादक पंडित रविशंकर के शार्गिद रह चुके पंडित भट्ट ने कहा कि टाटा, बिड़ला, अंबानी जैसे बड़े औद्योगिक घरानों को शा ीय संगीत के जतन के लिए आगे आना चाहिए। इन्हें किसी एक कलाकार को गोद लेना चाहिए। गोद लेने का मतलब जिस तरह पहले राजा-महाराजा संगीतज्ञों की देखरेख करते थे, उन्हें राजदरबार में गाना होता था, उनके लिए हवेली होती थी। अब राजा-महाराजा रहे नहीं, अब आज के राजा-महाराजा यही हैं इसलिए इन औद्योगिक घराने को एक-एक संगीत के परिवार चुनना चाहिए, गोद ले लेना चाहिए और उन्हें जिंदगी भर की गारंटी लेनी चाहिए जो शास्त्रीय संगीत को युवाओं में प्रचार-प्रसार करना चाहिए।
विदेशी श्रोताओं में ज्यादा रूचि
सेंट पीटर्सबर्ग विश्वविद्यालय से मानद डिग्री प्राप्त इस संज्ञीतज्ञ ने कहा कि कहा कि विदेशों में शास्त्रीय संगीत के श्रोता काफी ज्यादा हैं। हालिया बंगलादेश की राजधानी ढाका में हाल ही हुए शास्त्रीय संगीत के कंसर्ट के बारे में उन्होंने कहा कि वहां पर 43 हजार से ज्यादा लोग शास्त्रीय संगीत सुनने आए थे जो कि दुनिया में संभवत: सबसे बड़ा कंसर्ट रहा। बड़़ी बात है कि ढाका जैसे शहर में इतने सारे श्रोता एक जगह आए। यह अपने आप में एक बड़ी व अनूठी बात है।
स्पीकमैके कर रही है बढिय़ा काम
वेस्टर्न हवाईयन गिटार का सफल रूप से देशी वर्जन करने वाले पंडित भट्ट ने बतााया कि देश में युवाओं में शास्त्रीय संगीत को प्रोत्साहित करने के लिए स्पीकमैके नामक संस्था बढिय़ा काम कर रही है। कलाकार खुद युवाओं को प्रेरित करने के लिए इस स्कूल कॉलेजों व विश्वविद्यालयों में जाते हैं और शास्त्रीय संगीत की जानकारी देते हैं। स्वैच्छिक सेवा प्रदान करते हैं। गुजरात में वे खुद इस संस्था के लिए काम कर रहे हैं। वे क न्सर्ट करेंगे। युवाओं में विचार करने के लिए स्पीकमैके ने बहुत अच्छा काम किया है। देश की संस्कृति को बचाने के लिए इसकी नितांत आवश्यकता है।
शास्त्रीय संगीत का अलग से चैनल हो
विश्व के 90 से ज्यादा देशों में अपनी प्रस्तुति दे चुके भट्ट ने गुजारिश की कि शास्त्रीय संगीत का अलग से 24 घंटे का चैनल होना चाहिए। कृषि के लिए अलग से चैनल है, सिनेमा और मनोरंजन के लिए अलग चैनल है वहीं जानवरों पर भी दो-तीन चैनल हैं, इसलिए शास्त्रीय संगीत का भी अलग से चैनल होना चाहिए।
राजस्थान में ज्यादा प्रचार-प्रसार नहीं
नेशनल तानसेन अवार्ड और राजस्थान रत्न पुरस्कार पा चुके भट्ट ने कहा कि राजस्थान की जड़ों में लोक-संगीत अधिक बसा हुआ है। जोधपुर , जैसलमेर में लंगा मांगनियार ने राजस्थानी लोक संगीत को अपनाया है जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती है। शास्त्रीय संगीत का प्रचार-प्रसार उतना नहीं है जितना महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, गुजरात में मध्य प्रदेश में हैं। सरकार की तरफ से भी प्रयास होने चाहिए।
विश्व के 90 से ज्यादा देशों में अपनी प्रस्तुति दे चुके भट्ट ने गुजारिश की कि शास्त्रीय संगीत का अलग से 24 घंटे का चैनल होना चाहिए। कृषि के लिए अलग से चैनल है, सिनेमा और मनोरंजन के लिए अलग चैनल है वहीं जानवरों पर भी दो-तीन चैनल हैं, इसलिए शास्त्रीय संगीत का भी अलग से चैनल होना चाहिए।
राजस्थान में ज्यादा प्रचार-प्रसार नहीं
नेशनल तानसेन अवार्ड और राजस्थान रत्न पुरस्कार पा चुके भट्ट ने कहा कि राजस्थान की जड़ों में लोक-संगीत अधिक बसा हुआ है। जोधपुर , जैसलमेर में लंगा मांगनियार ने राजस्थानी लोक संगीत को अपनाया है जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती है। शास्त्रीय संगीत का प्रचार-प्रसार उतना नहीं है जितना महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, गुजरात में मध्य प्रदेश में हैं। सरकार की तरफ से भी प्रयास होने चाहिए।