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अहमदाबाद

नवजात को ‘कोएनल एट्रेसिया सर्जरी’ से मिली सांसें

सिविल अस्पताल के चिकित्सकों की मेहनत रंग लाई: New born baby, surgery, oxygen, civil hospital, doctors in hospital

अहमदाबादDec 10, 2020 / 09:55 pm

Pushpendra Rajput

नवजात को 'कोएनल एट्रेसिया सर्जरी' से मिली सांसें

नवजात को ‘कोएनल एट्रेसिया सर्जरी’ से मिली सांसें

गांधीनगर. बालिका के जन्म पर आरतीबेन के चेहरे पर खुशी झलक रही, लेकिन बालिका को सांस लेने में दिक्कत होने पर उनका चेहरा मुरझा गया। ऐसे समय पर अहमदाबाद सिविल अस्पताल के बाल रोग चिकित्सकों ने ‘कोएनल एट्रेसियाÓ सर्जरी कर उस बच्ची की नई सांसें दी। बच्ची सांसें चलने पर आरतीबेन का चेहरा फिर खिल उठा। चिकित्सक कहते हैं ऐसी सर्जरी कम लोगों में ही होती है।
दरअसल, अहमदाबाद जिले के साणंद तहसील की 22 वर्षीय आरतीबेन ने एक बालिका को जन्म दिया था। घर में खुशहाली थी। सामान्य प्रसूति और सामान्य वजन के साथ जन्म बालिका को बचपन से सांस लेने में दिक्कत होने लगी। ऐसा होने से आरतीबेन और उनके पति मायूस हो गए। बाद में बालिका को चिकित्सकों के पास ले जाया गया, जहां ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखकर धड़कनों को सुचारूकरने का प्रयास किया गया, लेकिन चिकित्सकों ने इस बीमारी की संवेदनशीलता और गंभीरता को समझकर उसे अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में भेज दिया, जहां बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. बेला साह के यूनिट में बालिका को भर्ती कराकर उसे ऑक्सीजन मुहैया कराई गई। हालांकि बालिका का स्वास्थ्य स्थिति नजर आने लगा। बालिका को नाक में नली के जरिए खाना दिया जाता था, लेकिन खाना 3 से 4 सेन्टीमीटर से ज्यादा नहीं जाता था। चिकित्सक इस उधेड़बुन में फंस गए हैं कि ऐसा क्यों हो रहा है। बाद में चिकित्सकोंन े सिर और गले का सिटी स्कैन कराया, जिसमें चिकित्सकों का मालूम हुआ कि नवजात बालिका को कोएनल एट्रेसिया है।
नवजात बच्चे सिर्फ नाक से ही सांस ले सकते हैं। वे मुंह से सांस नहीं ले सकते। जब बच्चा रोता है तो श्वासोच्छास की प्रक्रिया होती है। इसके चलते ही यह सर्जरी काफी अहम मानी जाती है। सर्जरी की जटिलता क समझकर सिविल अस्पताल के बाल रोग सर्जरी के विभागाध्यक्ष डॉ. राकेश जोशी और उनकी टीम ने एनेस्थेशिया विभाग की चिकित्सक वैभवी पटेल से संपर्क कर सांतवें दिन बालिका की सर्जरी की। सर्जरी के दौरान दोनों नथुनों से 3.5 मिलीमीटर एंडोस्कोप की गई। नाक के पिछले हिस्से में नथुनों तक हड्डी के अवरोध के चलते दिक्कत हो रही थी। बाद में चिकित्सकों ने हड्डी के कुछ हिस्से को काट दिया गया और एण्डोस्कोपी का प्रवेश कराया गया।
सर्जरी के बाद बेहतर परिणाम हासिल करने के लिए नथुनो में 48 घंटे तक नलियां जोड़कर रखा गया। बेहतर परिणाम मिलन के बाद नलियों को निकाल दिया गया। फिर चार दिनों तक बच्ची को रायल्स ट्यूब से खाना पहुंचाया गया। अब बालिका पूर्णत: स्वस्थ है। अब वह अच्छी तरह से सांस ले सकती है।
ऐसी होती है कोएनल एटे्रसिया

यह एक बचपन से होने वाली बीमारी हैं, जो दुनिया में सात हजार बच्चों में से एक बच्चे में होती है। अनुनासिक मार्ग में अवरोध होने से बच्चे को सांस लेने में दिक्कत होती है। सामान्यतौर पर गर्भविकास के दौरान कभी असामान्य हड्डी या मांस पेशी नरम होने से कोएनल एट्रेसिया होती है, जो जानलेवा भी हो सकती है।

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