स्प्रे-सर्जरी से भी गुस्से, तनाव शांत करने की संभावना: डॉ.शाह
NFSU, webinar, Gujarat, एनएफएसयू में दो वेबिनार का आयोजन, अपराधों का पता लगाने में फोरेंसिक मनोविज्ञान महत्वपूर्ण: डॉ. व्यास
स्प्रे-सर्जरी से भी गुस्से, तनाव शांत करने की संभावना: डॉ.शाह
अहमदाबाद. पद्मश्री एवं ख्यात न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. सुधीर वी शाह ने कहा कि अनुसंधान के जरिए हम आने वाले समय में स्प्रे और सर्जरी के माध्यम से गुस्से और तनाव को शांत कर सकते हैं। लेकिन यह सिर्फ वैकल्पिक तरीका होगा। यदि सही मायने में हमें दुख, गुस्सा और तनाव को दूर करना है तो इसके लिए ध्यान, योगा, प्रार्थना, सत्संग, रिश्तों की फिटनैस सबसे अहम है।
वे गुरुवार को नेशनल फोरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी की ओर से आयोजित वेबिनार को संबोधित कर रहे थे।
‘खुशी की तलाश: विज्ञान, नैतिकता और आध्यात्मिकताÓ विषय पर अपने वक्तव्य में डॉ. शाह ने मानक वैज्ञानिक अनुसंधान प्रयोगों को दिखाते हुए कहा कि भविष्य में, वैज्ञानिक अनुसंधान भी दुख को कम कर सकते हैं। यदि किसी को अधिक गुस्सा आता है तो वे अपने क्रोध को, स्ट्रेस को तुरंत शांत करने के लिए एंटीडोपामिनर्जिक स्प्रे का उपयोग कर सकते हैं। जीन को जेनेटिक इंजीनियरिंग-जेनेटिक एडिटिंग के जरिए भी बदला जा सकता है और एपिजेनेटिक्स (पॉजिटिव थिंकिंग) के जरिए जीन का एक्सप्रेशन भी बदला जा सकता है। डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (डीबीएस) सर्जरी से दर्द का इलाज किया जा सकता है। हालांकि, यह स्थायी उपाय नहीं है। स्थाई खुशी के लिए प्रार्थना, ध्यान, योग, स्वाध्याय, सत्संग का दैनिक अभ्यास, रिश्तों की फिटनेस, शारीरिक स्वास्थ्य, नैतिक मूल्यों की रक्षा, परोपकारी जीवन मददरूप है।
एनएफएसयू के कुलपति डॉ. जे. एम. व्यास ने कहा कि बाहरी कारक किसी व्यक्ति को खुश नहीं कर सकते, केवल मन की आंतरिक स्थिति ही व्यक्ति को खुश कर सकती है। इस वेबिनार के अंत में धन्यवाद ज्ञापन कैंपस डायरेक्टर प्रो. एस. ओ. जुनारे ने किया।
इसके अलावा, नौवें, फोरेंसिक मनोविज्ञान दिवसÓ के अवसर पर एक और वेबिनार आयोजित किया गया, जिसमें कुलपति डॉ. जे. एम. व्यास ने कहा कि फोरेंसिक मनोविज्ञान मानव मस्तिष्क की जांच के माध्यम से अपराधों का पता लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस वेबिनार में गुजरात एसीबी निदेशक केशवकुमार, डॉ. सी. आर. मुकुंदन, अमीर लिबरमैन-इजऱाइल, डीएफएस की उपनिदेशक अमिता शुक्ला, सहायक निदेशक डॉ. हेमा आचार्य, स्कूल ऑफ़ बिहेवियरल साइंस के डीन ब्रिगेडियर (डॉ) के. के. त्रिपाठी ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
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