अब विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखकर ग्रामीणों ने मिलकर गुरुवार को होने वाले मतदान का बहिष्कार किया। एकजुट हुए ग्रामीणों ने मंगलवार को विरोध भी जताया और गांव में मतदान नहीं करने के बैनर और पोस्टर भी लगा दिए गए। गांव के सरपंच अल्पेश सोलंकी के अनुसार पेयजल की समस्या २२ वर्ष पुरानी है। पूर्व में परिएज तलाब से पाइपलाइन बिछाई गई थी, लेकिन प्रेशर से पानी नहीं मिलता था। इसके बाद कनेवाल तलाब से भी पाइपलाइन डाली गई लेकिन वह कुछ ही दिनों में क्षतिग्रस्त हो गई थी।
आए दिन यह लाइन लीकेज हो जाती है जिससे पानी की किल्लत होती रहती है। गांव में १८०० मतदाता हैं, सभी ने बहिष्कार के निर्णय से सहमत हैं। सरपंच का कहना है कि गांव में चुनावी टीम को भी नहीं घुसने का निर्णय कियाहै। मंगलवार को तहसील विकास अधिकारी ने ग्रामीणों के साथ बैठक कर समझाने का प्रयास किया लेकिन ग्रामीण इसी बात पर अड़े रहे कि पहले उनकी परेशानी का निपटारा किया जाए।
इम्पोर्ट ड्यूटी बढऩे के बाद भी यार्न का आयात बढ़ा
केन्द्र सरकार ने चीन सहित अन्य देशों से आयातित यार्न का विरोध होने के बाद इम्पोर्ट ड्यूटी बढ़ा दी, लेकिन उस पर अमल नहीं होने के कारण विदेश से आयातित यार्न में पिछले तीन महीने में लगातार उछाल आया है। इसका सीधा नुकसान स्थानीय उद्यमियों को हो रहा है।
पिछले तीन महीने से यार्न और फैब्रिक्स के आयात में सतत बढ़ोतरी हो रही है। जीएसटी लागू होने के बाद विदेश से आयातित यार्न पर ड्यूटी घट गई थी। इस कारण वहां से आयातित यार्न की कीमत घटने से आयात बढ़ गया। कोटन कपड़े का आयात जुलाई में 45 प्रतिशत, अगस्त में 29 और सितम्बर में 12 प्रतिशत बढऩे से स्थानीय उद्यमी संकट में आ गए। उन्होंने केन्द्र सरकार से ड्यूटी बढ़ाने की मांग की। सरकार ने इन कपड़ों और यार्न पर ड्यूटी बढ़ाने की घोषणा तो कर दी, लेकिन अब तक इस पर अमल नहीं होने के कारण स्थानीय उद्यमियों पर संकट बरकरार है।
उद्यमी संकट में
पहले जिस कपड़े पर 28 प्रतिशत ड्यूटी थी, जीएसटी के बाद उस पर 10 प्रतिशत ड्यूटी से आयातित कपड़े सस्ते हो गए। इसका नुकसान स्थानीय उद्यमियों को हो रहा है। सरकार को नए नियम पर जल्द अमल करना चाहिए। -आशीष गुजराती, वीवर
प्रतिस्पर्धा में मुश्किल
विदेशी कपड़ों की अपेक्षा सूरत के कपड़े महंगे होने के कारण हमारे लिए प्रतिस्पर्धा में टिक पाना मुश्किल हो रहा है। -मयूर गोलवाला, वीवर