आंदोलन की नींव रखने में अहम भूमिका निभाने वाले हार्दिक के साथी दिनेश बांभणिया ने बताया कि हार्दिक का फैसला गलत है। अत्याचार होने के बाद कांग्रेस को छोडऩे का जो आधार बताया है वह उचित नहीं लगता है। भले ही उन्हें पद मिल जाए लेकिन समाज से वह सम्मान नहीं मिल सकेगा जो उन्हें कभी मिला था। हार्दिक ने खुद के साथ समझौता कर लिया है।
इस आंदोलन के दौरान सहभागी रहीं और एनसीपी में शामिल हो चुकीं रेशमा पटेल ने बताया कि हार्दिक ने बिना सोचे समझे यह निर्णय लिया है। साथ ही उन्होंने अपने राजनीतिक करियर का गलत निर्णय किया है। कांग्रेस ने उन्हें पद व प्रतिष्ठा भी दी। लेकिन इस विचाराधारा को छोडऩा सही नहीं है। यदि कांग्रेस से इस्तीफा देना था उन्हें तुरंत दे देना चाहिए, इतना समय क्यों लगाया।
पाटीदार आंदोलन का हिस्सा रहे सरदार पटेल ग्रुप (एसपीजी) के लालजी पटेल ने भी कहा है कि हार्दिक को अगला कदम सोच समझ कर उठाना होगा। यदि वे भाजपा में शामिल होते हैं तो उन्हें पाटीदार समाज का रोष झेलना पड़ेगा।
उनके अनुसार मेहसाणा से शुरू हुए पाटीदार आरक्षण आंदोलन और आरक्षण में हार्दिक पटेल की ओर से समाज को एक मंच पर लाकर विरोध करने और सरकार को झुकाने की बात करने वाले हार्दिक बाद में नेता बन गए। इसके बाद कांग्रेस की राजनीति में आए हार्दिक ने अब इस्तीफा दे दिया है। सरदार पटेल ग्रुप (एसपीजी) किसी भी राजनीतिक पार्टी से नहीं जुड़ी है।