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अहमदाबाद

शिक्षकों को फर्जी पहचान पत्र जारी करने के खिलाफ जनहित याचिका

राज्य सरकार के शिक्षा विभाग, डीजीपी, डीपीईओ व अन्य को नोटिस

अहमदाबादFeb 28, 2018 / 11:37 pm

Uday Kumar Patel

PIL filed against Bogus I-Card for teachers
अहमदाबाद. जिले के धोलका में शिक्षकों को जारी किए जाने वाले फर्जी पहचान पत्र का मामला गुजरात उच्च न्यायालय पहुंचा है। मुख्य न्यायाधीश आर. सुभाष रेड्डी व न्यायाधीश वी. एम. पंचोली की खंडपीठ की ने इस मामले की सुनवाई के बाद राज्य सरकार व अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया गया। मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद रखी गई है।
लक्ष्मण परमार की ओर से दायर जनहित याचिका में यह आरोप लगाया गया कि तहसील प्राथमिक शिक्षा अधिकारी की ओर से पहचान पत्र जारी किया जाता है। इस पहचान पत्र में राष्ट्रीय मुद्रालेख का दुरुपयोग किया जाता है।
यह पहचान पत्र प्राथमिक शिक्षक के यूनियन के सदस्यों को ही जारी किया जाता है। इसमें राज्य सरकार के चिह्न का दुरुपयोग किया जाता है। इस प्रकार के पहचान पत्र जारी किए जाने की सत्ता सिर्फ जिला शिक्षा अधिकारी को है।
इस संबंध में पहचान पत्र जारी करने को लेकर आरटीआई से जानकारी मांगी गई जिसमें यह कहा गया कि तहसील प्राथमिक शिक्षा अधिकारी को पहचान पत्र जारी करने का अधिकार है, लेकिन शिक्षकों को राष्ट्रीय चिह्न या गुजरात सरकार लिखा पहचान पत्र नहीं जारी किया जा सका। इस संबंध में गुहार लगाए जाने पर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई।

प्रदीप शर्मा की याचिका पर फैसला सुरक्षित
हवाला प्रकरण में विदेश में रकम ट्रांसफर करने के मामले में आरोपी व निलंबित आईएएस अधिकारी प्रदीप शर्मा की जमानत याचिका पर गुजरात उच्च न्यायालय ने फैसला सुरिक्षत रखा है। याचिका पर सुनवाई के दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आरोपी अधिकारी की जमानत याचिका का विरोध किया गया। ईडी की ओर से दलील दी गई कि पहले भी आरोपी की जमानत याचिका नामंजूर की गई है इसलिए अब आरोपी जमानत याचिका नहीं दायर कर सकता। शर्मा के खिलाफ प्रथम दृष्टया अपराध बनता है और आरोपी के खिलाफ सबूत भी है। इसके अलावा पीएमएलए की धारा 45 को रद्द करने के मुद्दे को इस मामले से नहीं जोड़ा जाना चाहिए।
उधर शर्मा की ओर से दलील दी गई थी कि सुप्रीम कोर्ट ने पीएमएलए की धारा 45 को रद्द करार दिया है। ऐसे में आरोपी को आपराधिक प्रक्रिया संहिता के तहत जमानत मिलनी चाहिए।

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