नहीं होता था नौकरी से गुजारा :
अशोकभाई का कहना है कि उन्होंने १०वीं तक पढ़ाई की। भाइयों के बीच ५ वीघे जमीन है। खेती में मेहनत करने के बावजूद उत्पादन नहीं मिलता तो उन्होंने नौकरी करना शुरू की। पादरा तहसील में ही खेती की दवाई बनाने वाली कम्पनी में नौकरी करने से खेती की दवाई एवं अलग-अलग तरह के बीजों के बारे में जानकारी थी। दूसरी ओर मेहनत के मुताबिक वेतन नहीं मिलने से नौकरी छोड़ कर खेती करने का विचार किया और डेढ़ वर्ष पूर्व नौकरी छोडक़र खेती शुरू की।
उनका कहना है कि नौकरी के दौरान की गई बचत खेत में लगाई और दो बीघे में मिर्ची की बुवाई कर दी। उन्होंने ऑनलाइन मिर्ची का बीज मंगाया और १४ जून को बुवाई की। बुवाई के ४५ दिन बाद उत्पादन शुरू हो गया और तीन दिनों से मिर्ची बाजार में बिक रही है।
एक लाख का खर्चा :
उनका कहना है कि मिर्ची की खेती में एक लाख रुपए का खर्चा होगा, जिसकी तुलना में दो लाख रुपए का शुद्ध मुनाफा मिलेगा। दो बीघे में ५ हजार मन मिर्ची उत्पादन होने का अनुमान है।