अहमदाबाद. रेलवे अब अपनी जमीन पर होनेवाले अतिक्रमण पर सेटेलाइट से नजर रखेगा। इसके लिए रेलवे भौगोलिक सूचना
तंत्र (जीआईएस) पोर्टल का उपयोग करने की योजना बना रहा है। इसके लिए रेल मंत्रालय और इसरो के बीच समझौता भी हुआ है। इसके मद्देनजर सेटेलाइट की मदद से रेलवे सभी स्टेशनों के आसपास होनेवाले अतिक्रमण की पहचान करेगा। जीआईएस प्लेटफार्म पर भारतीय रेल की संपत्ति की जीपीएस आधारित जानकारी दिसंबर तक पूरा होने की उम्मीद है।
भारतीय रेलवे के पास काफी संपत्ति है जिसमें भू-संपत्ति भी शामिल है। रेलवे इसका प्रभावी तरीके से प्रबंधन और निगरानी करेगा। रेलवे के संचालन में अंतरिक्ष-संबंधी कवरेज व्यापक है। इससे जीआईएस मैपिंग का उपयोग भारतीय रेलवे की संपत्ति के बेहतर प्रबंधन के लिए किया जा सकता है। भारतीय रेलवे की सभी परिसंपत्तियों का खाका तैयार किया जाएगा। बाद में इसका प्रयोग भारतीय रेलवे के जीआईएस पोर्टल विकसित करने के लिए किया जाएगा। रेलवे की परिसंपत्तियों का जीपीएस आधारित खाका तैयार करने का कार्य प्रगति पर है जिसमें जीआईएस प्लेटफॉर्म पर भू-संपत्ति भी शामिल है। दिसंबर 2018 तक इसके पूरे होने की उम्मीद है। इसके लिए रेलवे सूचना प्रणाली केंद्र (सीआरआईएस) के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए हैं और सीआरआईएस इस एप्लीकेशन को विकसित कर रहा है। इस एप्लीकेशन में भारतीय रेलवे की भूमि संबधित योजनाओं को सेटेलाइट तस्वीरों के जरिए देखा जा सकता है। इसरो के भूवन प्लेटफार्म से सेटेलाइट तस्वीरों को लिया जा रहा है। रेलवे और इसरो के बीच विभिन्न चरणों में आपसी सहयोग के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं। जीआईएस पोर्टल को विकसित करने के बाद, सेटेलाइट तस्वीरों की तुलना कर स्टेशन के चारों ओर नए अतिक्रमण की पहचान की जा सकती है जिसे इसरो द्वारा नियमित अंतराल के बाद अपडेट किया जा रहा है। इसरो के भूवन प्लेटफार्म से सेटेलाइट तस्वीरों को लिया जा रहा है। रेलवे और इसरो के बीच विभिन्न चरणों में आपसी सहयोग के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
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