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अहमदाबाद

रेलवे स्टेशनों पर फिर लौटेंगे बीते दिन…

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अहमदाबादSep 23, 2019 / 10:13 pm

Pushpendra Rajput

रेलवे स्टेशनों पर फिर लौटेंगे बीते दिन...

रेलवे स्टेशनों पर फिर लौटेंगे बीते दिन…

अहमदाबाद. प्लास्टिक पर सख्ती होने के बाद अब रेलवे स्टेशनों (Railway station) पर स्टॉलधारक नया विकल्प तलाश रहे हैं। हालांकि गुजरात में भावनगर मंडल के जेतलसर स्टेशन पर कैटरिंग स्टॉलधारक (cattering statll) ने प्लास्टिक के विकल्प के तौर पर पत्ते से बने दोने पर समोसा-कचोरी, भजिया जैसी खाद्य सामग्री परोसनी शुरू कर दी है। अहमदाबाद रेलवे स्टेशन (ahmedabad railway station) पर हरी पत्तियों से बने दोने विकल्प के तौर पर तलाश शुरू की जा रही है। हालांकि रेलवे अधिकारियों की हिदायतों के बाद स्टॉलधारक भी मशक्कत में जुट गए हैं। कइयों ने कागज की प्लेट और एल्युमिनियम की फॉइल से बनी डीस में खाना परोसना शुरू कर दिया। वहीं कई स्टॉलधारक हरी पत्तियों के दोने को विकल्प बनाने के लिए उनकी तलाशी शुरू कर दी।
यदि रेलवे स्टेशन हरी पत्तियों के दोने पर खा्रद्य सामग्री और कुल्हड में चाय मिलने लगेगी तो फिर वही कुछ पुरानी यादें स्टेशन पर नजर आने लगेंगी। रेलवे स्टेशन पर करीब डेढ़ से दो दशक पहले कुल्हड़ों में चाय मिलती थी। बाद में स्टेशनों से कुल्हड़ गायब हो गए। पूर्व रेल मंत्री लालूप्रसाद यादव ने रेलवे स्टेशनों पर कुल्हड़ में चाय देने का फरमान जारी किया था, लेकिन कुल्हड़ कुछ दिनों तक ही सिर्फ शो पीस के तौर पर ही स्टेशनों पर नजर आए। बाद में स्टेशनों से कुल्हड़ (kullhad) पूरी तरह से गायब हो गए। अब स्टेशनों पर रेलयात्रियों को फिर से कुल्हड़ में चाय और दोने में खाद्य सामग्री देने को लेकर कवायद चल रही है।
अहमदाबाद रेलवे स्टेशन पर एक स्टॉल धारक ने कहा कि प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं करने को लेकर हिदायत दी गई है, तो एल्युमीनियम फॉइल की प्लेट्स में खा्रद्य सामग्री देना शुरू कर दिया है। हालांकि रेलवे ने हरी पत्तियों के दोने का विकल्प भी दिया। फिलहाल तो बाजार में पर्याप्त मात्रा में दोने नहीं हैै तो उसकी पर्याप्त आपूर्ति को लेकर तलाश कर रहे हैं। यदि पर्याप्त मात्रा में हरी पत्तियों के दोने मिलते हैं तो उसका उपयोग करेंगे।
उधर, एक अन्य स्टॉल धारक ने बताया कि प्लास्टिक प्लेट (plastic plate) और थैली के एवज में कागज की प्लेट में समोसा- कचौड़ी जैसी खाद्य सामग्री दे रहे हैं। पहले जहां प्लास्टिक की चम्मच देते थे उसके एवज में लकड़ी की चम्मच दिए जा रहे हैं। पत्तों के दोने को लेकर उनका कहना है कि अभी तो बाजार में दोने नहीं मिलते हैं, लेकिन जरूरत के हिसाब से दोने उपलब्ध होंगे तो उसे अपनाएंगे।
भावनगर मंडल के वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक वी.के. टेलर ने बताया कि मौजूदा समय में भावनगर (bhavnagar) , बोटाद और जेतलसर स्टेशन के कई चुनिंदा स्टॉल्स पर पत्तों के दोने पर यात्रियों को खाद्य सामग्री परोसी जाती हैं। आगामी समय में और भी स्टेशनों और स्टॉलों पत्ते के दोने उपलब्ध हो सकेंगे। उन्होंने कहा कि आमतौर पर मंदिरों में पत्तों के दोने पर प्रसाद वितरित किया जाता है। स्टॉलधारकों को स्थानीयस्तर पर पत्ते के दोने मिल रहे हैं।

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