पूछताछ में सामने आया कि घोडासर की सार्थक हॉस्पिटल को इन दिनों कोविड हॉस्पिटल बनाया गया है। यहां भर्ती कोरोना मरीजों को चिकित्सक रेमडेसिविर इंजेक्शन देने के लिए लिखते थे,लेकिन आरोपी अस्पताल में नर्स एवं सीनियर स्टाफ हैं, जिससे ये मरीजों को इंजेक्शन ही नहीं लगाते थे। उसे बचा लेते थे, ताकि उसे ऊंची कीमत पर बेच सकें। आरोपी ऐसे मरीजों को इंजेक्शन नहीं लगाते थे जिनकी तबियत ठीक होती थी। उसके नाम का इंजेक्शन बचाकर खुद अपने पास रख लेते और फिर उसे ऊंचे दाम पर बेचते थे।