शुक्रवार को सुनवाई के दौरान गुजरात और राजस्थान दोनों का डोमिसाइल रखने वाले 207 विद्यार्थियों के साथ-साथ गुजरात और महाराष्ट्र दोनों का डोमिसाइल रखने वाले करीब 467 विद्यार्थियों का पता चला।
याचिकाकर्ता की वकील ममता व्यास ने गुजरात और महाराष्ट्र दोनों का डोमिसाइल रखने वाले करीब 467 विद्यार्थियों की सूची पेश की। गुजरात डोमिसाइल पैरेन्ट्स एसोसिएशन के वकील हेमांग परीख की ओर से कहा गया कि राजस्थान और गुजरात दोनों में 207 विद्यार्थियों के नाम मेरिट लिस्ट में शामिल हैं। इसके अलावा सूरत शहर पुलिस की ओर से दर्ज प्राथमिकी के तहत 96 विद्यार्थियों का मामला भी शामिल है। इस तरह करीब 800 विद्यार्थियों के दो-दो राज्यों के डोमिसाइल का पता चला है। याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि इन विद्यार्थियों के डोमिसाइल की वैधता की जांच अच्छी तरीके से करनी चाहिए जिससे गुजरात के विद्यार्थियों का भविष्य नहीं बिगड़े।
व्यास ने दलील दी कि विद्यार्थी से सिर्फ डोमिसाइल प्रमाणपत्र मांगा जा रहा है, लेकिन इसकी वैधता जांचने के लिए और ज्यादा सबूत नहीं मांगे जा रहे हैं।
उधर राज्य सरकार की ओर से लोक अभियोजक मनीषा लवकुमार ने दलील दी कि राज्य सरकार ने डोमिसाइल की वैधता जांचने के लिए जिला स्तर पर चार अधिकारियों की समिति गठित की है जो इसकी जांच कर रही है। वहीं सूरत में दर्ज प्राथमिकी के तहत चार आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। इस मामले में 96 डोमिसाइल की वैधता की जांच जारी है।
सभी पक्षों की दलीलों के बाद न्यायालय ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से 207 विद्यार्थियों के डोमिसाइल की वैधता की जांच को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की गई। राज्य सरकार ने इन सभी विद्यार्थियों के डोमिसाइल की वैधता जांच करनी चाहिए थी।
याचिका के मुताबिक गुजरात सरकार ने इस वर्ष मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए गुजरात का डोमिसाइल होना अनिवार्य किया है, इसलिए दाखिले के लिए डोमिसाइल की अनिवार्यता का उचित ढंग से पालन किया जाना चाहिए, लेकिन ऐसा पता चला है कि कई विद्यार्थियों ने मेडिकल कोर्स में दाखिला लेने के लिए एडमिशन कमिटी के समक्ष फर्जी डोमिसाइल प्रमाणपत्र पेश किया है।