हर वर्ष दो बच्चियों की शिक्षा में मददगार हो रहीं सरयूबेन
महिला दिवस पर विशेष
गुजरात से लेकर जम्मू में की है सेवा
हर वर्ष दो बच्चियों की शिक्षा में मददगार हो रहीं सरयूबेन
भास्कर वैद्य प्रभास पाटण. शिक्षा, जानकारी, आत्मविश्वास और हम होंगे कामयाब… के सूत्र को अपने अथक परिश्रम से सार्थक करने वाली सरयुबेन झणकाट का जीवन बच्चियों के लिए प्रेरणादायक है। वर्तमान में गिर सोमनाथ जिले के मुख्यालय वेरावल में उप कलक्टर के पद पर कार्यरत सरयूबेन ने विश्व प्रसिद्ध व देश के द्वादश में से प्रथम ज्योतिर्लिंग सोमनाथ महादेव मंदिर में विश्व महिला दिवस की पूर्व संध्या पर दर्शन किए।
जूनागढ़ जिले की चोरवाड तहसील के काणोक गांव की मूल निवासी सरयूबेन प्राथमिक से माध्यमिक कक्षाओं तक अव्वल रहीं। कराटे की राष्ट्रीय स्पर्धा में कांस्य पदक प्राप्त किया, शतरंज की राष्ट्रीय स्पर्धा में बेहतरीन प्रदर्शन किया और बास्केटबॉल की राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी रही हैं।
पिता हरिसिंह झणकाट पुलिस निरीक्षक थे, उनको मिलने वाली सलामी एवं शिकायतों का सूझबूझ से निस्तारण करते देख, कार्य को राष्ट्रीय दायित्व समझकर दोडऩे की इच्छाशक्ति देख सरयूबेन ने बचपन से ही जीवन में मात्र सामान्य महिला के बजाए कुछ बनने का स्वप्न देखा। स्वप्न को पूरा करने के लिए कठोर परिश्रम कर कंप्यूटर इंजीनियरिंग और यूपीएससी की परीक्षा उत्तीर्ण की।
अमरीका में गुगल कंपनी में कार्यरत रहने के अलावा वर्ष 2011 से 2018 के दौरान सात वर्ष तक जम्मू-काश्मीर में रहकर काश्मीर की युवतियों को अपने ज्ञान का निशुल्क उपयोगकर कंप्यूटर सीखाया। सेना में अधिकारी पति के स्टाफ क्वार्टर में स्टाफ के बच्चों को गणित व विज्ञान निशुल्क पढ़ाई। वहां आई बाढ़ के समय नागरिक भावना के साथ बचाव कार्य में सहयोग किया।
कोंगों में विशेषाधिकारी के तौर पर ड्यूटी के दौरान भारतीय सेना के दो अधिकारियों के गुम होने का रेडियो पर समाचार सुनकर चिंतित हुईं और कुछ घंटों बाद सुरक्षित मिलने का समाचार सुना। यही सरयुबेन की जिंदगी का टर्निंग प्वाइंट (मोड़ बिन्दू) बना। कुछ करने और बेहतर जिंदगी के लिए किसी प्रवृत्ति से जुडऩे का संकल्प किया।
वर्ष 2018 में राजकोट ग्रामीण क्षेत्र में प्रशिक्षु प्रांत अधिकारी नियुक्त हुईं सरयूबेन ने कोविड-19 की शुरुआत के साथ ही राजकोट की जिला कलक्टर रेम्या मोहन के मार्गदर्शन में मात्र 10 दिन में कोरोना कोविड केयर सेंटर अस्पताल शुरू करवाया। राजकोट में भारी बारिश के कारण बाढ़ में गुम हुए लोगों को मध्यरात्रि में पुलिस, राजस्व कर्मचारियों के साथ कीचड़ में घूमकर ढूंढ़ा।
बच्चे और बच्चियों में कोई अंतर नहीं मानने वाली सरयुबेन का कहना है कि वे प्रतिवर्ष दो बच्चियों को अध्ययन में मदद करती हैं। सेवा-शिक्षा, प्रगति में सेवानिवृत्त उपाधीक्षक पिता हरिसिंह का योगदान रहा, पिता को दादी का सहयोग व प्रोत्साहन मिला। अध्ययन और आगे बढऩे में विवाह के बाद पति, सास, ससुर सहित परिवारजन उपयोगी रहे।
Home / Ahmedabad / हर वर्ष दो बच्चियों की शिक्षा में मददगार हो रहीं सरयूबेन