राजकोट में पानी की समस्या से निपटना बड़ा संतोष: नेहरा
अनुशासन को बताया विकास के लिए जरूरी, आईएएस बनने में सोसायटी और देश को दिया श्रेय
राजकोट में पानी की समस्या से निपटना बड़ा संतोष: नेहरा
अहमदाबाद. राजकोट महानगरपालिका के आयुक्त के कार्यकाल के दौरान शहर में पेय जल की किल्लत का निराकरण बड़ा संतोष है। इसके अलावा वडोदरा में जिला कलक्टर के कार्यकाल के दौरान जमीनी मामलों के निपटारे से सैकड़ों औद्योगिक इकाइयों का निर्माण होने से हजारों लोगों को रोजगार मिलना बड़ा संतोष है।
अहमदाबाद महानगरपालिका के मनपा आयुक्त विजय नेहरा ने राजस्थान पत्रिका के साथ विशेष बातचीत में यह बात कही। भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के वर्ष २००१ बैच के अधिकारी नेहरा मूल रूप से राजस्थान के सीकर जिले के सिहोट छोटी गांव के हैं। अहमदाबाद मनपा आयुक्त से पहले वे राजकोट मनपा आयुक्त का पद भी संभाल चुके हैं। उस कार्यकाल में राजकोट में नर्मदा के पानी की पाइप लाइन बिछाकर शहर को पेयजल की समस्या से मुक्त करवाया। हालांकि इसमें वर्तमान सरकार के सहयोग की भी उन्होंने सराहना की। देश में पानी की समस्या वाले शहरों में राजकोट की गिनती होती थी। फिलहाल शहर में यह समस्या खत्म हो गई है। इससे पूर्व वे वडोदरा के कलक्टर भी रहे। उस दौरान जमीनी मामलों के निपटारे से सैकड़ों औद्योगिक इकाइयों का निर्माण हुआ और हजारों लोगों को रोजगार के अवसर मिले। वडोदरा में ही बाल गोकुलम योजना का कार्य भी उन्होंने बेहतर बताया। जिसे मॉडल के रूप में भी अपनाया गया। इससे पूर्व वे अहमदाबाद जिला कलक्टर भी रह चुके हैं।
अहमदाबाद कई मामलों में हो गया अव्वल
अहमदाबाद में मनपा आयुक्त का पद भार संभालते के बाद शहर स्वच्छता, मेट्रो सिटी जैसे कई मामलों में काफी आगे आ गया। इसका श्रेय उन्होंने वर्तमान सरकार और जनता को दिया। शहर में ट्रैफिक, पार्किंग और अतिक्रमण समस्या को लेकर अभियान भी चलाए। जिसके अन्तर्गत शहर में तीस से चालीस हजार अतिक्रमण दूर किए गए। उन्होंने कहा कि ये ऐसे मुद्दे थे जिसमें शहर पुलिस कमीश्नर और राज्य सरकार का सहयोग जरूरी था, जो पूर्ण रूप से मिला।
सामान्य परिवार से नाता
नेहरा ने बताया कि उनके पिता रामचंद्र नेहरा भारतीय सेना से निवृत है। नेहरा के पांच भाई-बहन हैं उनमें से उनके अलावा किसी को औपचारिक शिक्षा नहीं मिली। स्कॉलरशिप से पढ़ाई करने वाले नेहरा का वर्ष १९९४ में आईआईटी मुंबई में सिलेक्शन हुआ। जिसके चौथे वर्ष में उन्हें आईएएस बनने का विचार आया। इस विचार के पीछे सोसायटी और देश के ऋण को चुकाना था। वे चाहते तो अपने साथियों के साथ अमेरिका जा सकते थे। वे मानते हैं कि देश में ऐसी कई योजनाएं हैं जिससे कोई भी नागरिक आगे आ सकता है। हालांकि इसमें परिश्रम की जरूरत है।
जन्मभूमि को करते हैं मिस
नेहरा मानते हैं कि उनकी जन्मभूमि राजस्थान तो कर्मभूमि गुजरात है। वे जन्मभूमि की मिट्टी और माता चावली देवी के हाथों का खाना अभी भी मिस करते हैं। उन्होंने कहा कि कोई भी कार्य में परिवार का साथ जरूरी है। इस मामले में भी वे भाग्यशाली हैं कि पत्नी सुमन नेहरा बच्चों की शिक्षा-दीक्षा पर ध्यान देती हैं। उनके बड़े बेटे आर्यन छोटी आयु में ही अन्तरराष्ट्रीय स्तर के तैराक बन गए हैं जबकि छोटी बेटी अनाया ने भी तैराकी को चुना है।
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