‘बच्चे के वजन के 10 फीसदी से ज्यादा नहीं हो बस्ते का वजन’
बोझ बगैर के बस्ते के लिए स्कूलों और अभिभावकों को नसीहत
‘बच्चे के वजन के 10 फीसदी से ज्यादा नहीं हो बस्ते का वजन’
गांधीनगर. बस्ते का वजन किसी भी हालत में बच्चे के वजन के 10 फीसदी से ज्यादा नहीं होना चाहिए। बोझ बगैर के बस्ते को लेकर केन्द्र सरकार के आदेशों का पालन करने के लिए राज्य सरकार ने मार्गदर्शिका बनाई है, जिसमें यह निर्णय किया गया। राज्य के शिक्षामंत्री भूपेन्द्रसिंह चूड़ास्मा ने स्कूल संचालकों और अभिभावकों के लिए यह मार्गदर्शिका जारी की।
चूड़ास्मा ने कहा कि बस्ते का वजन ज्यादा होने से बच्चों पर शारीरिक और मानसिक असर होता है। बच्चों में पीठ दर्द, स्नायुओं में जकडन, मानसिक तनाव, मणके का घिसना, गर्दन में दर्द जैसी शिकायतें होती सकती हैं। बच्चों के विकास और वृद्धि पर इसका विपरीत प्रभाव हो सकता है। अब बच्चों पर शारीरिक और मानसिक प्रभाव नहीं हो इसके चलते ही शिक्षा विभाग ने यह निर्णय किया है।
शिक्षा विभाग ने जो निर्णय किया है उसमें
(१) अब विद्यार्थियों के बस्ते का वजन किसी भी हालात में उनके वजन के दसवें भाग अर्थात् दस फीसदी से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
(2) शैक्षणिक प्राधिकरण की ओर से मान्य हों उन प्रिन्टेड सामग्री का ही स्कूलों को उपयोग करना होगा। मान्यता प्राप्त बगैर की पुस्तकें, मार्गदर्शिका, स्वास्थ्यपोधी, निबंध पुस्तकों का उपयोग नहीं हो सकेगा।
(3) स्कूल संचालकों को समय सारिणी ऐसी रखनी होगा जिससे विद्यार्थियों को हररोज सभी विषय की सामग्री स्कूल नहीं लाना पड़े।
(4) कक्षा-1 और २ में किसी भी प्रकार का होमवर्क विद्यार्थी को नहीं दिया जाए। कक्षा-3 और कक्षा 5 के बच्चों को आधा घंटा तथा कक्षा-6, सात तथा कक्षा आठ के विद्यार्थियों को सिर्फ एक घंटे का होमवर्क देना होगा।
शिक्षा विभाग ने पारित प्रस्ताव और स्कूलों को निर्देश भी दिए हैं। जो पाठ्य सामग्री मंजूर की गई है उसका ही उपयोग करना होगा। हर रोज तीन से चार विषयों के ही प्रतिदिन क्लास होने चाहिए। होमवर्क और क्लास बुक अलग-अलग नहीं करना है। निबंधन लेखन की अलग-अलग नोटबुक के बजाय एक ही नोटबुक रखना होगा। पानी की बोतलों से बस्तों का वजन नहीं बढ़े इससे स्कूलों में पानी की पर्याप्त सुविधाएं होनी चाहिए।
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