उन्होंने कहा कि स्पेस टूरिज्म अब सिर्फ कल्पना नहीं रही बल्कि यह एक वास्तविकता बन चुकी है। स्पेसेक्स के इन्सिपरेशन मिशन ने हाल ही में विश्व का पहला ऐसा अंतरिक्ष यान भेजा है, जिसमें प्रशिक्षित एस्ट्रोनेट नहीं बल्कि चार आमजन सफर पर गए थे। अंतरिक्ष में उन्होंने चार दिन गुजारे और सुरक्षित तरीके से पृथ्वी पर लौट आए। स्पेसेक्स वर्जिन गेलेकटीक एवं ब्लू ओरिजिन जैसी निजी कम्पनियां ओरबिटल एवं सब ओरबिटल स्पेस टूरिज्स के लिए तकनीक विकसित करने में खासा निवेश कर रही है। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि आगामी समय में आमजनों के अंतरिक्ष यात्रा करने के किस्से बढ़ जाएंगे।
उन्होंने कहा कि स्पेस टूरिज्म में हाइब्रीड एरोस्पेस व्हीकल का उपयोग किया जाता है, जो एयर क्राफ्ट और स्पेस क्राफ्ट दोनों ही तरीके से काम करता है, लेकिन एयर ट्रैवल एवं स्पेस ट्रैवल के लिए अलग-अलग कानून है। ऐसे में हाईब्रिड एयरो स्पेस ह्वीक के लिए कौन-सा कानून लागू होगा यह स्पष्ट नहीं है। हवाई सीमा कहां पूरी होती है और अंतरिक्ष कहां से प्रारंभ होता है। इसके लिए फिलहाल कोई अंतरराष्ट्रीय सहमति नहीं है।
स्पेस टूरिज्म की सुरक्षा का जिम्मा किसके पास? उन्होंने कहा कि स्पेस टूरिज्म में सबसे बड़ा मुद्दा यात्रियों की सुरक्षा का है। मौजूदा समय में तो फेडरल एविशन एडमिनिस्ट्रेशन ध्यान रखते हैं। कमर्शियल स्पेस कंपनियों की गतिविधियों से जमीन या हवाई में आमजन को कोई जोखिम नहीं है, लेकिन स्पेस क्राफ्ट में अंतरिक्षयात्रा जाने वाले यात्रियों की सुरक्षा पर फेडरेशन एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन का कोई देखरेख नहीं है।