सेप्ट विद्यार्थियों का स्टूडियो प्रोजेक्ट: अलवर में मूसी रानी की छतरी के पास झरने के बीच सैर-सपाटे का आनंद!
अहमदाबाद. अरावली की पहाडिय़ों के मध्य बसे राजस्थान में अलवर के प्रमुख पर्यटन स्थल ‘मूसी रानी की छतरीÓ के पास लोग झरने के बीच सैर-सपाटे का लुत्फ भी उठा सकते हैं। सेप्ट के फैकल्टी ऑफ आर्किटेक्चर के विद्यार्थियों ने छतरी तालाब के पास एक सामुदायिक भवन (कम्युनिटी सेंटर) को स्थापित करने का विचार प्रस्तुत करते हुए इसकी डिजाइन तैयार की है। अलवर में छतरी के समीप रहने वाले लोगों से बातचीत कर उनकी जरूरतों के तहत इसे डिजाइन किया है। यह प्रोजेक्ट सेप्ट एक्सीलेंस अवार्ड इन एक्जीबिशन के लिए चयनित श्रेष्ठ २० स्टूडियो प्रोजेक्ट में से एक है। हालांकि यह प्रोजेक्ट सिर्फ एक विचार आधारित स्टूडियो प्रोजेक्ट है। यदि इसे अलवर जिला प्रशासन एवं राजस्थान सरकार अपनाती है तो इसे मूर्त रूप भी दिया जा सकता है। तभी यह सब संभव हो सकता है। इस विचार आधारित प्रोजेक्ट की विशेषता यह है कि इसमें अलवर की पुरानी एवं पारंपरिक जल प्रणाली को मुख्य आधार बनाया गया है। जिसमें अरावली की पहाड़ी से पानी को संग्रहित कर छतरी एवं अन्य छोटे तालाबों तक पहुंचाने के लिए एक कैनाल बनाई गई है। पुराने समय की इस केनाल से आने वाले पानी को तीन अलग-अलग जगहों पर झरने का आकार देकर इसके इर्दगिर्द कम्युनिटी सेंटर को विकसित करने की डिजाइन तैयार की है। जहां लोगों को गिरते झरने के बीच बैठकर बातचीत करने, खानपान का लुत्फ उठाने, बहते जल के बीच खरीददारी करने का आनंद मिल सकता है। कम्युनिटी सेंटर को भी पहाड़ी इलाके के अनुरूप डिजाइन किया है, जहां सीढिय़ां हैं। उनके पास ही दुकानें, चिकित्सा सुविधा भी मिल सकेगी।
केनाल आर्किटेक्चर ने किया प्रेरित अलवर में मूसी रानी की छतरी तालाब घूमने के दौरान देखा कि उत्तरी दिशा में एक और छोटा तालाब है। वहां से एक केनाल पहाड़ की तरफ ऊपर जा रही है। केनाल के सहारे जाकर पाया कि यह पहाड़ तक गई है। केनाल पुराने समय की है जो पहाड़ी के पानी को शहर में लाने और अलग अलग कुंड को भरने फिर वहां से मूसी रानी तालाब तक पहुंचाने में मददरूप होती है। केनाल की इस व्यवस्था ने और लोगों से साथ की बातचीत में उनकी जरूरतों के हिसाब से कम्युनिटी सेंटर बनाने का विचार आया। -अनिरुद्ध शंकर, छात्र, सेप्ट विवि
जल से लोगों का भावनात्मक जुड़ाव होगा मजबूत ऐतिहासिक शैली तो पानी के संरक्षण, महत्व को बेहतर तरीके से समझाती है, लेकिन आज जरूरत है कि शहरी माहौल में भी लोग जल की अहमियत को समझें। उसके साथ उनका भावनात्मक जुड़ाव भी मजबूत बने। ऐसा होने पर ही वे सही मायने में जल की महत्ता को समझेंगे। इस प्रोजेक्ट के डिजाइन की बेहतरी यह है कि इसमें अरावली की पहाड़ी से आने वाले जल के साथ लोगों के जुड़ाव को भी तवज्जो दी गई है। नए आर्किटेक्ट के लिए भी यह अहम है कि वे अपनी डिजाइन में जल के महत्व को तवज्जो दें।