scriptGujarat News : रिक्शे से शव ले जाना पड़ा श्मशान | tragedy, sad, Dead body, Labour, Rickshaw | Patrika News
अहमदाबाद

Gujarat News : रिक्शे से शव ले जाना पड़ा श्मशान

शव वाहिनी नहीं मिलने से श्रमिक परिवार लाचार
अंतिम संस्कार के लिए 15 सौ रुपए लिए
सड़क के किनारे 5 घंटे तक पड़ा रहा शव
सांसद मितेष पटेल का है यह गांव

अहमदाबादMay 08, 2022 / 02:32 pm

Binod Pandey

Gujarat News : रिक्शे से शव ले जाना पड़ा श्मशान

Gujarat News : रिक्शे से शव ले जाना पड़ा श्मशान

आणंद. जिले के वासद में एक दिल दहलाने वाला मामला सामने आया है। एक श्रमिक परिवार के एक सदस्य की मौत हो गई। आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने की वजह से उन्हें शव वाहिनी की तो बात ही छोडि़ए श्मशान तक शव को ले जाने के लिए कोई अन्य वाहन भी नहीं मिला।
मृतक को शव वाहिनी नहीं मिलने और साइकिल रिक्शा में लिटा कर शव को श्मशान गृह तक ले जाने की बात की वीडियो वायरल हुई तो पूरे गांव में हंगामा मच गया। वासद की गिनती प्रगतिशील गांव के रूप में होती है। यह सांसद मितेश पटेल का भी गांव है। इस प्रगतिशील गांव में किसी मृतक को शव वाहिनी नहीं मिलने की बात पर स्थानीय निवासी रमेश बरफवाला ने बताया कि अग्नि संस्कार के लिए ग्राम पंचायत के अधीन आने वाले श्मशान गृह के संचालक की ओर से 2500 रुपए की मांग की गई। लेकिन उसके परिजनों के पास पैसा नहीं होने की वजह से 1500 रुपए दिए गए।
विदेश में है सांसद
सांसद मितेश पटेल फिलहाल विदेश में हैं। उन्होंने टेलिफोनिक वार्ता में कहा कि यह परिवार यहां का मूलनिवासी नहीं है। इसलिए यह लोक प्रशासन को सही जानकारी नहीं दे पाए होंगे। नहीं तो जहां पर मृतक का शव पड़ा हुआ था, वही के समीप में ही एक स्कूल के प्रांगण में शव वाहिनी खड़ी रहती है। इसे सभी जाति के लोगों को मुफ्त में दिया जाता है। इसे वासद तो छोडि़ए, और गांव के लोग भी ले जाते हैं। इस परिवार के लोगों को उचित मार्गदर्शन नहीं मिला होगा, इसलिए इस तरह का मामला हुआ होगा।

सड़क के किनारे 5 घंटे तक करना पड़ा इंतजार
इस परिवार के सदस्यों को उम्मीद थी कि कोई ना कोई व्यक्ति उनका सहारा बनेगा और शव को श्मशान तक ले जाने में उनकी मदद करेगा। लेकिन कोई भी व्यक्ति उनकी मदद करने के लिए आगे नहीं आया। आखिरकार परिवार के सदस्य उसे साइकिल रिक्शे में डालकर श्मशान तक ले गए। यहां भी कष्ट ने उनका पीछा नहीं छोड़ा। आरोप है कि श्मशान में बने चेंबर में अंतिम संस्कार के लिए उनसे 1500 रुपए की मांग की गई।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वडोदरा जिले के जरोद गांव का मूल निवासी जगदीश नायक श्रमिक और भिक्षुक के रूप में यहां पर रह कर जीवन का गुजारा कर रहा था। भिक्षा में जो कुछ भी मिलता था, वही खा कर के यहां पर सो जाता था। उसका पुत्र अक्षय छिटपुट काम करके अपना जीवन गुजार रहा था। खाना खाने के पश्चात वह खुली जगह में यहीं पर सो जाता था। अक्षय को पता चला कि एक सप्ताह पूर्व उसके पिता जगदीश की मौत हो गई थी। उसके शव को समीप के ही एक अस्पताल के सड़क के किनारे कोई छोड़ गया है। मामले की जानकारी मिलते ही अक्षय और अन्य लोग वहां से 2 किलोमीटर दूर लोगों की ओर से बताएं गए स्थान पर पहुंच गए। उन्होंने देखा कि मृतक के शव को सड़क के किनारे छोड़ दिया गया है।

शव वाहिनी के लिए लोगों से मांगी मदद
पिता के शव को अंतिम संस्कार के लिए श्मशान तक ले जाने के लिए उसने लोगों से मदद मांगी। लेकिन किसी भी व्यक्ति ने उसकी मदद नहीं की। इधर 5 घंटे तक शव वाहिनी भी नहीं आई। आखिरकार अक्षय और अन्य लोग शव को साइकिल रिक्शा में लिटा कर श्मशान तक ले गए और श्मशान संचालकों को नियमानुसार पैसे देकर अपने पिता का अंतिम संस्कार किया।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो