चौहान ने बताया कि 20 अगस्त 20 को श्रीगोविन्दम दिव्य बिल्डर्स के निदेशक गोविन्द दायमा से देहलीगेट स्थित दूसरी मंजिल की दुकान मय भूतल खरीदी। गोविन्द दायमा ने 20 अगस्त 2020 को इकरारनामा निष्पादित किया। दायमा का वाहन चालक राजकुमार बतौर गवाह मौजूद था। गोविन्द दायमा ने उसे विश्वास दिलाया कि खरीदशुदा व्यवसायिक दुकान का वह अकेला मालिक है। कम्पनी में भाई रणजीत दायमा साझेदार है। दुकान पर कोई विवाद नहीं है। आरोपी की बातों में आकर उसने 20 अगस्त को 51 लाख रुपए देकर खरीद का इकरारनामा बना लिया। जिसे नोटेरी पब्लिक दिलीपसिंह राठौड़ ने निष्पादित किया। इकरारनामे में बतौर गवाह रणजीत दायमा व राजकुमार ने हस्ताक्षर किए। इस पर उसने गोविन्द दायमा को 51 लाख का भुगतान कर दिया।
चौहान ने बताया कि खरीदशुदा दुकान कुम्हार बावड़ी देहलीगेट द्वितीय तल पर है जो एमएनसी संख्या 593/5 का एक हिस्सा है। जिसका कुल क्षेत्रफल 547 वर्गफुट है। इकरारनामे के बाद उसे संपत्ति का विवादित होना पता चला। संपत्ति गोविन्द दायमा और उसके भाई रणजीत ने गिरवी रखकर करोड़ों रुपए उधार ले रखे हैं।
झूठे मुकदमे में फंसाने की धमकी! चौहान ने बताया कि गोविन्द दायमा, रणजीत दायमा 51 लाख रुपए ना तो उसे लौटा रहे हैं ना विक्रयशुदा सम्पत्ति की रजिस्ट्री कर रहे हैं। आरोपियों ने उसे रकम लौटाने से इनकार कर दिया। रकम की मांग करने पर पीडि़त को आरोपी जान से मारने व झूठे मुकदमे में फंसाने की धमकी दी जा रही है।