script75th Independence : इधर मिली देश को आजादी, उधर प्रमोट हुए थे स्टूडेंट्स | 75th Independence : class promotion gift with independence day | Patrika News
अजमेर

75th Independence : इधर मिली देश को आजादी, उधर प्रमोट हुए थे स्टूडेंट्स

ब्रिटिशकालीन और स्वतंत्र भारत के बाद उतार-चढ़ाव, संस्कारों, मूल्यों को बदलते उनकी पीढ़ी ने बखूबी देखा है।

अजमेरAug 11, 2022 / 11:23 am

raktim tiwari

इधर मिली देश को आजादी, उधर प्रमोट हुए थे स्टूडेंट्स

इधर मिली देश को आजादी, उधर प्रमोट हुए थे स्टूडेंट्स

रक्तिम तिवारी. देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, लेकिन आजादी के संघर्ष में कई वीरों-वीरांगनाओं का शौर्य और बलिदान शामिल है। राजस्थानी और हिंदी के लेखक और कवि डॉ. विनोद सोमानी ‘हंस’ 15 अगस्त 1947 की आजादी की स्वर्णिम सुबह के साक्षी रहे हैं। उम्र के अस्सी पायदान पार कर चुके डॉ.सोमानी की लेखनी उन्हें इस उम्र-ए-दराज में भी तरोताजा रखे हुए है। ब्रिटिशकालीन और स्वतंत्र भारत के बाद उतार-चढ़ाव, संस्कारों, मूल्यों को बदलते उनकी पीढ़ी ने बखूबी देखा है। राजस्थान पत्रिका ने जब उन्हें टटोला तो उनके मानस पटल पर चिरस्थाई स्मृतियां फिर से तरोताजा हो गईं।

एक क्लास की मिली थी पदोन्नति

डॉ. सोमानी ने बताया कि मैं 1947 में पांचवीं क्लास में पढ़ता था। उस वक्त कोई माइक तो होता नहीं था। 15 अगस्त को आजादी मिलने की सूचना स्कूल में शिक्षकों द्वारा दी गई थी। हम तो बचपन में इसका मतलब भी नहीं जानते थे। आजादी मिलने की खुशी में तब पूरे प्रदेश में विद्यार्थियों को एक कक्षा की प्रोन्नति मिली थी। मैं भी सीधा सातवीं कक्षा में पहुंच गया था।संभवत: ऐसा देश में ऐसा पहली और संभवत: अंतिम बार ही हुआ था।

बहुत मिलनसार होते थे लोग

वे बताते हैं कि उस जमाने के लोग बहुत मिलनसार और एकदूसरे के सुख-दुख में खड़े रहने वाले होते थे। गांव-ढाणी में किसी के गमी अथवा खुशी या उत्सव होने पर लोग जिम्मेदारी से कामकाज संभालते थे। किसी बुजुर्ग की एक आवाज-आदेश पर लोग जुट जाते थे। किसी से कोई भेदभाव नहीं…कोई वैमनस्य अथवा कटुता नहीं होती थी। अब भागती-दौड़ती जिंदगी और बदलाव का दौर है।

पान की दुकान पर सुनते थे खबरें

रेडियो और अखबार तो उस जमाने में गिने-चुने समृद्ध घरों अथवा दुकानों पर दिखते थे। मैं भीम में पढ़ता था। एक पान की दुकान पर रेडियो चलता था। बच्चे, बुजुर्ग, युवा वहीं जाकर खबरें सुनते थे। अखबार तो यदा-कदा ही पढ़ने को मिलता था। 1970 तक रेडियो-टीवी का लाइसेंस जरूरी था। कहीं तेज आवाज आती थी तो तुरन्त इंस्पेक्टर कार्रवाई करने पहुंच जाते थे।

सुखाडि़या ने बढ़ाया हौसला. .

प्रदेश के तत्कालीन राजस्व मंत्री मोहनलाल सुखाडि़या 50 के दशक में हमारे स्कूल आए। मैंने कविता, लेखन, वाद-विवाद, गीत में प्रथम स्थान प्राप्त किया। उन्होंने मुझे पुरस्कार प्रदान किया और कहा…ऐसे ही लिखते-पढ़ते रहो…एक दिन बहुत आगे बढ़ोगे। इसी प्रकार मेरे डीएवी कॉलेज में पढ़ने के दौरान वे आए तो सीएम बन चुके थे। उन्होंने आगे बढ़कर हाथ मिलाया तो मैं सहसा विश्वास नहीं कर सका। तब सीएम, मंत्री या बड़े नेताओं के आने पर आज की तरह पुलिसिया तामझाम नहीं होता था। सहजता से कोई भी व्यक्ति उनसे मिल सकता था।

देश ने की है बहुत प्रगति

डॉ. सोमानी ने कहा कि 75 साल में काफी कुछ बदलाव आया है। 1947 की तुलना 2022 से करता हूं तो लगता है देश ने बहुत प्रगति की है। तब देश में एक सुंई तक नहीं बनती थी, आज हम कंप्यूटर, मोबाइल, युद्धपोत, मिसाइल, रॉकेट, वाहन, कपड़े और क्या-क्या नहीं बना रहे हैं। लेकिन भारी कीमत चुकाने के बाद आजादी मिली है यह नहीं भूलना चाहिए। अनुशासन, संस्कार, नैतिक शिक्षा और मूल्य ही देश को विश्व गुरु बना सकते हैं।

Home / Ajmer / 75th Independence : इधर मिली देश को आजादी, उधर प्रमोट हुए थे स्टूडेंट्स

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो