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अजमेर

पुष्कर पशु मेले में आया एक सांड, उसकी भी तलाश!

विश्व प्रसिद्ध पुष्कर पशु मेल में इस बार गोवंश नदारद है। गोवंश के नाम पर मेले में इस मर्तबा शुक्रवार तक सिर्फ एक सांड पहुंचा है। वह भी किस स्थान पर खड़ा यह किसी को पता नहीं।

अजमेरNov 14, 2021 / 02:44 am

युगलेश कुमार शर्मा

पुष्कर पशु मेले में आया एक सांड, उसकी भी तलाश!

पुष्कर पशु मेले में आया एक सांड, उसकी भी तलाश!

युगलेश शर्मा.

अजमेर. विश्व प्रसिद्ध पुष्कर पशु मेल में इस बार गोवंश नदारद है। गोवंश के नाम पर मेले में इस मर्तबा शुक्रवार तक सिर्फ एक सांड पहुंचा है। वह भी किस स्थान पर खड़ा यह किसी को पता नहीं। पशु मेले में गोवंश की यह स्थिति चौंकाने के साथ ही बेहद चिंताजनक भी है। इसके पीछे बड़ा कारण कृषिगत कार्यों में मशीनों के बढ़ते चलन और नागौरी नस्ल के बछड़ों के निर्यात पर लगी रोक को भी माना जा रहा है। सरकार और पशु पालन विभाग ने कारगर कार्ययोजना के तहत समय रहते इस ओर ध्यान नहीं दिया तो आने वाले समय में गोवंश देखने को भी लोग तरस जाएंगे।
मशीनी खेती, किसानों का घटा रुझान

गोवंश पुष्कर पशु मेले की शान रही है। रेतीले धोरों पर इन चौपायों के पांवोंं में बंधे घुंघुरुओं की खनखनाहट मेले में रंगत और ऊर्जा भरती रही है। कभी हजारों की तादाद में यहां गोवंश की खरीद-फरोख्त होती थी। इनमें नागौरी नस्ल की धाक के साथ देशी व अन्य नस्ली गोवंश का भी बोलबाला था। लेकिन धीरे-धीरे गोवंश के प्रति पशुपालक व किसान मुंह फेरने लगे हैं। इसका मुख्य कारण खेती की बदलती तकनीक, कृषि में मशीनों का बढ़ता उपयोग और नागौरी नस्ल के बछड़ों के निर्यात पर लगी रोक को माना जा रहा है।
यहां से आता रहा है गोवंश

पुष्कर पशु मेले के दौरान पूर्व में हजारों की संख्या में गोवंश को लेकर पशुपालक पहुंचते रहे हैं। इनमें अजमेर जिले के साथ नागौर, सीकर, बीकानेर, हनुमानगढ़, भीलवाड़ा, चित्तौडगढ़़, प्रतापगढ़, टोंक, पाली आदि जिलों से गाय, बछड़े, बैलों को लेकर पशुपालक आमद दर्ज कराते थे। पुष्कर की सरहद खत्म होते ही नागौर जिले की सीमा शुरू हो जाती है। लेकिन नागौरी बैलों की जोडिय़ां देखने के लिए किसान और पशुपालक अब तरसने लगे हैं।

नजर आ रहा सिर्फ ऊंट और अश्ववंश

पुष्कर मेले में अब सिर्फ ऊंट और अश्ववंश की नजर आ रहा है। मेले में अभी तक 2016 ऊंट और 1442 घोड़ों पहुंचे हैं। इसके अलावा 3 भैंसवंश और 2 गधा-गधी पहुंचे हैं।
पशुपालक ने कहा

पहले बछड़े और बैलों की भी खरीद होती थी लेकिन अब पुष्कर मेले में गौवंश कम हो गया है। खेती के लिए पहले बैलों की जोडिय़ां खरीद कर लोग ले जाते थे। बैल-बछड़ों को मेले में लाने के लिए पशुपालन विभाग की ओर से अभियान चलाना चाहिए व प्रचार प्रसार भी करना चाहिए।
-अफसार, पशुपालक

अधिकारी बोले

पशुपालकों की नागौरी नस्ल के बैल जोड़ी, मुर्रा नस्ल की भैंस खरीदने में दिलचस्पी रहती थी। समय के साथ ट्रैक्टरों से खेती पर निर्भरता बढ़ गई। इसका असर पुष्कर पशु मेले पर भी पड़ा। नागौरी नस्ल के बछड़ों के निर्यात पर रोक का भी असर है। मेले में गोवंश के नाम पर अभी तक किशनगढ़ से सिर्फ एक सांड आया है।
-प्रफुल माथुर, संयुक्त निदेशक, पशुपालन विभाग

एक्सपर्ट व्यू

मेले के प्रचार-प्रसार की कमी है। इसके अलावा गोवंश को बढ़ावा देने के लिए महाराष्ट्र सरकार की तर्ज पर सेग्रीगेड सीमन योजना लागु करनी चाहिए। फीड (पशुआहार) और फोडर (चारा) पर ध्यान देना चाहिए सरकार को। साथ ही किसानों को गोवंश खरीद के लिए सस्ता लोन दिया जाए।
-रामचंद्र चौधरी, अजमेर डेयरी अध्यक्ष

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