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अजमेर

#corona : मुसाफिर हूं यारों, ना घर है ना ठिकाना .. . .

खानाबदोश को छोडऩे को लेकर पसोपेश आधार कार्ड है ना कोई पता ठिकाना कैसे छोड़े खानाबदोश

अजमेरMay 12, 2020 / 12:03 pm

Preeti

#corona : मुसाफिर हूं यारों, ना घर है ना ठिकाना .. . .

#corona : मुसाफिर हूं यारों, ना घर है ना ठिकाना .. . .

अजमेर .सालों से अजमेर शहर में रह रहे करीब 300 खानाबदोशों को कहां, किस ट्रेन में किसके भरोसे रवाना किया जाए ।इसको लेकर प्रशासन पशोपेश में है । कोरोना वायरस के दुष्प्रभाव से बचाव के लिए इन खानाबदोषों को फि़लहाल शेल्टर होम में रखा गया है। नगर निगम के सूत्रों ने बताया कि लॉक डाउन के दौरान दरगाह बजरंग गढ़ सहित नगर के अन्य इलाकों से खानाबदोषों को पकड़ा गया था ।
यह लोग पिछले लंबे समय से अजमेर में दान के भोजन और भीख मांगकर गुजारा और खुले आसमान तले रहते थे । इनमें पश्चिम बंगाल बिहार उत्तर प्रदेश और राजस्थान सहित अन्य प्रांतों के पुरुष और महिलाएं शामिल हैं । इनमें से कई मानसिक रोगी है तो कई शारीरिक रूप से बीमार भी है ।

खुले में छोडऩा भी घातक
शेल्टर होम में रह रहे खानाबदोशों के पास उनकी पहचान का आधार कार्ड और मतदाता पहचान पत्र जैसे कोई प्रामाणिक दस्तावेज नहीं है। वहीं यह खानाबदोश अपने घर का पता ठिकाना भी सही नहीं बता रहे हैं ।समस्या यह है कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी इन्हें शेल्टर होम में रखा जाए या फिर छोड़ दिया जाए । क्योंकि कोरोना का खतरा अभी कई महीनों तक मंडराता रहेगा इसलिए उन्हें खुले में छोडऩा भी घातक हो सकता है ।
सूत्रों का कहना है कि इस संबंध में जिला प्रशासन को निर्णय लेना है । इन सभी को एक साथ रखना ही पड़ा तो अलग से व्यवस्था करनी पड़ेगी ।

इनका कहना है
राज्य सरकार से निर्देश मिले हैं कि जो जाना चाहे उन्हें भेज दिया जाए और जो नहीं जाना चाहते उनके रहने की व्यवस्था की जाए ।क्योंकि अब शेल्टर होम खाली हो रहे हैं। इसलिए खानाबदोषों को एक बड़ी जगह पर रखने की व्यवस्था प्रशासन के सहयोग से की जाएगी।

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