मामला जुड़ा है शहर से हजारों स्ट्रीट लाइटें गायब होने से। यह मामला एसीबी में भी दर्ज है। एडीए बिना जांच पड़ताल के ठेकेदार को अंतिम भुगतान की तैयारी में है। इसके लिए ठेकेदार एडीए से ही बिल मांग रहा है। जबकि नियमनानुसार ठेकेदार को ही भुगतान के लिए बिल प्रस्तुत करना होता है।
ठेका समाप्ति के बाद मेंटीनेंस करने वाली फर्म को सभी लाइटें मय सामग्री चालू सही स्थिति में एडीए को हैंडओवर की जानी थी लेकिन ठेकेदार ने न तो लाइटों की रिपेयरिंग की और न हीं लाइटें ही गिनवाई हैंड ओवर तो दूर की बात है।
सात कदम भी नहीं बढ़ी जांच
एडीए की इलेक्ट्रिक विंग में भ्रष्टाचार से जुड़े मामले सामने आने के बाद एडीए सचिव ने इनकी जांच करने तथा सात दिन में रिपोर्ट देने के लिए कमेटी का गठन करते हुए यूओ नोट जारी किया था। लेकिन सात माह बाद भी जांच ही शुरु नहीं हो सकी। जांच कमेटी में शामिल अधिकारी भी एक्सपर्ट नहीं है। वहीं सचिव ने भी मामले में जांच करवाने को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई और न ही जांच अधिकारियों से जांच रिपोर्ट ही मांगी। जांच के लिए लगाए गए मुख्य अभियंता तो तीन माह पहले ही रिटायर हो चुके हैं।
एडीए की इलेक्ट्रिक विंग में भ्रष्टाचार से जुड़े मामले सामने आने के बाद एडीए सचिव ने इनकी जांच करने तथा सात दिन में रिपोर्ट देने के लिए कमेटी का गठन करते हुए यूओ नोट जारी किया था। लेकिन सात माह बाद भी जांच ही शुरु नहीं हो सकी। जांच कमेटी में शामिल अधिकारी भी एक्सपर्ट नहीं है। वहीं सचिव ने भी मामले में जांच करवाने को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई और न ही जांच अधिकारियों से जांच रिपोर्ट ही मांगी। जांच के लिए लगाए गए मुख्य अभियंता तो तीन माह पहले ही रिटायर हो चुके हैं।
यूं समझें करोड़ों के मेंटीनेंस का गठित
एडीए की विभिन्न प्रकार की लाइटों का रख रखाव (8 माह) 58.60 लाख रुपए, नई स्ट्रीट लाइटों का रखरखाव (12 माह) के लिए 1928 लाख, गार्डन की लाइटें (12 माह)32.52 लाख, गौरवपथ व फायसागर रोड (12 माह) के लिए 12.57 लाख रुपए सहित सभी ठेके मैसर्स चंदर इलेक्ट्रीकल्स को 1 करोड़ 23 लाख रुपए में दिए गए है। औसतन प्रतिमाह 13.62 लाख रुपए प्रतिमाह स्ट्रीट लाइटों के संचालन पर एडीए ने खर्च किए।
एडीए की विभिन्न प्रकार की लाइटों का रख रखाव (8 माह) 58.60 लाख रुपए, नई स्ट्रीट लाइटों का रखरखाव (12 माह) के लिए 1928 लाख, गार्डन की लाइटें (12 माह)32.52 लाख, गौरवपथ व फायसागर रोड (12 माह) के लिए 12.57 लाख रुपए सहित सभी ठेके मैसर्स चंदर इलेक्ट्रीकल्स को 1 करोड़ 23 लाख रुपए में दिए गए है। औसतन प्रतिमाह 13.62 लाख रुपए प्रतिमाह स्ट्रीट लाइटों के संचालन पर एडीए ने खर्च किए।
डिफेक्ट लाइटबिल्टी की लाइटें का भुगतान
एडीए ने लाइटों के रखरखाव का जो ठेका दिया उनमें से अधिकतर लाइटें डिफेक्ट लाइबिल्टी पीरियड की है। इसके अंतर्गत कार्य करवाने वाले ठेकेदार की ही जिम्मेदारी मेंटीनेंस की है। सभी की अमानत राशि एडीए में जमा है। कई कार्य जो खुद चन्दर इलेक्ट्रीकल्स ने ही करवाए हैं उनका दोहरा भुगतान ठेकेदार और इंजीनियर मिलकर ले रहे हैं इससे एडीए को दोहरी चपत लगी।
एडीए ने लाइटों के रखरखाव का जो ठेका दिया उनमें से अधिकतर लाइटें डिफेक्ट लाइबिल्टी पीरियड की है। इसके अंतर्गत कार्य करवाने वाले ठेकेदार की ही जिम्मेदारी मेंटीनेंस की है। सभी की अमानत राशि एडीए में जमा है। कई कार्य जो खुद चन्दर इलेक्ट्रीकल्स ने ही करवाए हैं उनका दोहरा भुगतान ठेकेदार और इंजीनियर मिलकर ले रहे हैं इससे एडीए को दोहरी चपत लगी।
टाइमर के बदले एमसीबी
लाइटों के संचाललन के लिए एडीए के कागजों में 200 से भी ज्यादा टाइमर लगे हैं जबकि मौके पर एमसीबी लगाकर और अधिकतर लाइटें डायरेक्ट जलाई जा रही है। ऐसे मेंं ठेकेदार कौन सा मेंटीनेंस कर रहा है समझ से परे है। मेंटीनेंस के नाम पर लाखों रुपए का सामान गायब है। जिसमें एमसीबी सुरक्षा उपकरण टाइमर स्विच,फ्यूज व अन्य सामग्री शामिल है। एडीए के लाखों रुपए के सुरक्षा उपकरण ही गायब हैं। स्पार्र्किंग, शॉर्टसर्किट आदि होने से लाइटों की दक्षता कम हो रही है।
लाइटों के संचाललन के लिए एडीए के कागजों में 200 से भी ज्यादा टाइमर लगे हैं जबकि मौके पर एमसीबी लगाकर और अधिकतर लाइटें डायरेक्ट जलाई जा रही है। ऐसे मेंं ठेकेदार कौन सा मेंटीनेंस कर रहा है समझ से परे है। मेंटीनेंस के नाम पर लाखों रुपए का सामान गायब है। जिसमें एमसीबी सुरक्षा उपकरण टाइमर स्विच,फ्यूज व अन्य सामग्री शामिल है। एडीए के लाखों रुपए के सुरक्षा उपकरण ही गायब हैं। स्पार्र्किंग, शॉर्टसर्किट आदि होने से लाइटों की दक्षता कम हो रही है।
ठेकेदार को बचाने में लगे अभियंता एडीए क्षेत्र में लगी लाइटों में अधिकत लाइटें खराब हैं यह निर्धारित मानकों के अनुसार रोशनी नहीं दे रही हैं। इनमें लक्स चैक ही नहीं किए गए और ठेकेदार को भुगतान कर दिया गया। नसीराबाद रोड पर एलईडी लाइट ब्लिंक करती रहती है। ट्यूब लाइटें टूट पड़ी हैं। कहीं पीली तो कहीं पर सफेद लाइट जल रही है। चार गुणा चार की दस फीसदी लाइटें भी सही नहीं है इनके अंदर का सामान गायब है। एक जगह से लाइट उतार कर दूसरी जगह लगा दी जाती है। इससे लाइटों का पैटर्न ही बदल गया है।
हो सकती है लाखों की रिकवरी बिना मामले की जांच करवाए ही अब मेंटीनेंस का टेंडर दूसरी फर्मो को देकर एडीए जांच से बचना चाहता है। गार्डन की लाइटों के संचालन का ठेका तो एक अन्य ठेकेदार को दे दिया गया है। जबकि असुरक्षित संचालन, क्षति पहुचाने, पैटर्न बदलने तथा इनकी गुणवत्ता के आधार पर भुगतान की दरों में से कटौती करते हुए ठेकेदार से लाखों की रिकवरी की जा सकती है।
कहीं अंधेरा, कहीं दिन में रोशन ठेकेदार की मनमानी तथा अभियंताओं की लापरवाही का आलम यह है कि शहर की प्रमुख सड़क अजमेर जनाना अस्पताल रोड पिछले 2 महीनों से अंधेरे में है जबकि पंचशील में दिन में ही लाइटें जल रही हैं। महाराणा प्रताप नगर योजना, हरिभाऊ नगर, मदार क्षेत्र, कबीर नगर व अन्य कई जगहों पर चोरी की बिजली से रोशनी हो रही है। इन लाइटों को जलाने-बंद करने का जिम्मा चाय व परचून की दुकान चलाने वालों के जिम्मे है।
आदर्श नगर,परबतपुरा रोड पर कई पोल व लाइटें ही गायब हैं तो कई लाइटें महीनों से बंद है। कुछ लाइटें कभी डिम तो कभी तेज जलती हैं। पैनल जले पड़े हैं। मेयो कॉलेज गुलाबबाड़ी रोड पर सोडियम लाइटें लगी हुई है, जिनके लैम्प ही साफ नहीं किए गए हैं। नारेली रोड से इंजीनियरिंग कॉलेज लाइटों के पैनल क्षतिग्रस्त हैं। 60 से अधिक लाइटें सालों से बंद पड़ी हैं जो सोडियम लाइटें लगी है उनकी रोशनी पूरी नहीं है। टाइमर, एमसीबी पैनल जले हुए हैं। सुरक्षा उपकरण बाइपास कर लाइटें संचालित की जा रही हैं।
अभियंताओं से इस बारे में चर्चा की गई, ठेकेदार का भुगतान रोका गया है। जांच करवाई जाएगी। -नमित मेहता, कमिश्नर एडीए मेरे स्तर पर जांच संभव नही है। पहले सभी मामलों की तकनीकी जांच करवाई जाए इसके बाद ही मैं वित्तीय हानि बता पाऊंगी।
-रश्मि बिस्सा, निदेशक (वित्त) एडीए
-रश्मि बिस्सा, निदेशक (वित्त) एडीए