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अजमेर

दरगाह बम ब्लास्ट केस- मालेगांव और हैदराबाद जैसे थे धमाके, मोबाइल सिम का किया यूज

बम ब्लास्ट से क्षतिग्रस्त मोबाइल की सिम व थैले में मिले बम के साथ लगी मोबाइल सिम की आईडी का मिलान करने पर घटना के खुलने का सिलसिला शुरू हुआ।

अजमेरFeb 25, 2017 / 07:34 am

raktim tiwari

malegaon_bomb_blast trick use in ajmer dargah

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 बम ब्लास्ट से क्षतिग्रस्त मोबाइल की सिम व थैले में मिले बम के साथ लगी मोबाइल सिम की आईडी का मिलान करने पर घटना के खुलने का सिलसिला शुरू हुआ। 

विधि विज्ञान प्रयोगशाला की जांच में सिम बिहार व झारखंड से जारी हुई थी। सिमकार्ड का धारक बाबूलाल यादव मिहीजाम, दुमका निवासी था, जिसकी वोटर आईडी जामताड़ा क्षेत्र से जारी हुई। उक्त जांच में कुल 11 सिमें एेसी पाई गई जो कूटरचित वोटर आईडी व ड्राईविंग लाईसेंस का प्रयोग करते हुए ली गई थी।
माले गांव व हैदराबाद बम विस्फोटों की तर्ज पर हुआ था विस्फोट

एटीएस जांच में यह तथ्य सामने आए कि मक्का मस्जिद (हैदराबाद) में भी दो बम रखे गए थे जिनमें से एक नहीं फटा था। इसमें बमों में टाइमर डिवाइस के रूप में सिम कार्ड में मोबाइल फोन का प्रयुक्त किया गया था। 
एटीएस ने माले गांव बम ब्लास्ट में गिरफ्तार आरोपित कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित व सुधाकर धर द्विवेदी उर्फ स्वामी दयानंद पांडे से पूछताछ की। पूछताछ में पुरोहित ने बताया कि स्वामी असीमानंद को जानता है। 
स्वामी असीमानंद ने 29 दिसम्बर 2007 को पुरोहित को फोन पर बताया कि सुनील जोशी जो उनके खास आदमी थे, की देवास में हत्या हो गई है। उसने ही अजमेर में ब्लास्ट किया था। इसलिए उसकी हत्या किसने की पता लगाना जरुरी है।
पुलिस जांच में सामने आए महत्वपूर्ण तथ्य

– वर्ष 2001 में देवेन्द्र गुप्ता ने जोशी के अधीन काम शुरू किया। वर्ष 2003 में गुप्ता झारखंड गया वहां जामतड़ा में जिला प्रचारक के रूप में कार्य किया। इस दौरान वह कई बार जोशी से मिला। गुप्ता मूलत: अजमेर का था। विवादित सिम खरीदने के बाद आसनसोल में प्रचारक के पद कार्य करता रहा था।
– एटीएस ने जांच के दौरान हर्षद उर्फ मुन्ना उर्फ राज को 1 नवम्बर 2010 को गिरफ्तार किया। उसने बताया कि उसने जोशी के साथ दो थैले गोदरा निवासी मुकेश को दिए थे जिन्हें अजमेर में रखे थे। वह अजमेर में वह स्थान बता सकता है जहां उसने बम रखे थे।
– इसके बाद प्रोड्क्शन वारंट से स्वामी असीमानंद को अंबाला जेल से गिरफ्तार किया। 22 जनवरी 2011 से 11 फरवरी 2011 तक असीमानंद को पुलिस रिमांड पर रखा था। बाद में असीमानंद ने संस्वीकृति दी व जेल अधीक्षक के मार्फत मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को कथित रूप से यह पत्र भिजवाया कि वह सरकारी गवाह बनना चाहता है अनुसंधान में सहयोग करना चाहता है। 
उधर आरोपित भरत रतेश्वर ने इस आशय का पत्र अदालत में पेश किया कि उसे जेसी भिजवाने के बाद जबरन प्रार्थना पत्र सरकारी गवाह बनने के लिए लिखवाया गया। बाद में अदालत ने असीमानंद व भरत रतेश्वर के अप्रूवर बनने संबंधी प्रार्थन पत्र को निरस्त कर दिया।
– अभियुक्त भावेश पटेल के 23 मार्च 2013 को धारा 164 के तहत बयान हुए। इसके बाद में उसे अलवर जेल में स्थानांतरित कर दिया गया।

– अभियोजन ने लगाए आरोपों का सार
बम का जवाब बम से देने के आशय से आपराधिक षडयंत्र के तहत विभिन्न स्थानों पर बैठकें। जनवरी 2004 उज्जैन सिंहस्थ कुंभ में, 2006 में सबरी कुंभ, गुजरात बलसाड़, जामताड़ा, मिहीजाम झारखंड, चूना खदान, सुनील जोशी के घर व रामजी कलसांगरा ,बंगाली चौराहे इंदौर में गुप्त बैठक कर षडयंत्र रचा।
इन वकीलों ने की पैरवी

सरकार अभियोजन की ओर से जी. सी. चटर्जी उनकी मृत्यु उपरांत अश्वनी शर्मा विशेष लोक अभियोजक के रूप में पैरवी।

बचाव पक्ष – जगदीश सिंह राणा, अश्वनी बोहरा, एस. पी. राव। 
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