गत वर्ष इसे डीजल लोको एवं वैगन कारखाना के मुख्य द्वार पर स्थापित किया गया। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर सभी के देखने हेतु इसे भाप से चलाया जायेगा। इस इन्जन का मुख्य आर्कषण इसका छोटा एवं सुन्दर स्वरूप है जिसे कारखाने में कर्मचारियों ने नया रूप प्रदान किया है।
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विरासत दीर्घा भी विकसित मुख्य कारखाना प्रबंधक आर के मूंदड़ा ने बताया कि लोको कारखाने के मुख्य द्वार पर भाप के इंजनों के विकास का चित्रण करती हुई विरासत दीर्घा भी विकसित की गई है। इसमें विश्व में भाप के इंजनों में हुये विकास को लगभग 40 चित्रों द्वारा बताया गया है।
विरासत दीर्घा भी विकसित मुख्य कारखाना प्रबंधक आर के मूंदड़ा ने बताया कि लोको कारखाने के मुख्य द्वार पर भाप के इंजनों के विकास का चित्रण करती हुई विरासत दीर्घा भी विकसित की गई है। इसमें विश्व में भाप के इंजनों में हुये विकास को लगभग 40 चित्रों द्वारा बताया गया है।
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ऐतिहासिक घड़ी सन् 1884 में निर्मित ऐतिहासिक घड़ी को इस पर्व पर विशेष रूप से सजाया गया है। यह घड़ी 135 वर्ष बाद भी कारखाना कर्मचारियों द्वारा चालू स्थिति में रखी गई है। घड़ी के टावर के नीचे ही इसकी कार्यप्रणाली को प्रदर्शित किया गया है।
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ऐतिहासिक घड़ी सन् 1884 में निर्मित ऐतिहासिक घड़ी को इस पर्व पर विशेष रूप से सजाया गया है। यह घड़ी 135 वर्ष बाद भी कारखाना कर्मचारियों द्वारा चालू स्थिति में रखी गई है। घड़ी के टावर के नीचे ही इसकी कार्यप्रणाली को प्रदर्शित किया गया है।
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1895 में निर्माण भारत में प्रथम भाप के इंजन के निर्माण का गौरव भी अजमेर के ऐतिहासिक कारखानों के नाम है। इस इंजन का निर्माण वर्ष 1895 में किया गया था जो आज राष्ट्रीय रेल संग्रहालय दिल्ली में प्रदर्शित है। इसके प्रतीक मॉडल को लोको कारखाना के मुख्य द्वार पर विशेष रूप से सजाया गया है।