यूजीसी ने इसके लिए निर्देश दिए हैं। वर्ष 2009 में रैगिंग के चलते छात्र अमन काचरू की मृत्यु हुई थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने रैगिंग को दंडनीय अपराध घोषित किया। कॉलेज, विश्वविद्यालयों में एन्टी रैगिंग कमेटियां और प्रकोष्ठ बनाए गए। इनमें पुलिस अफसरों, एनजीओ, शिक्षाविदों को शामिल किया गया। यूजीसी ने भी हैल्पलाइन नंबर की सुविधा, रैगिंग के खिलाफ पोस्टर, व्याख्यान, संगोष्ठी, नुक्कड़ नाटक जैसे कदम उठाए। इसके बावजूद कहीं चोरी-छिपे तो कहीं खुले रूप से रैगिंग जारी है। यूजीसी तक अखबारों, विद्यार्थियों के ई-मेल, हैल्पलाइन पर ऐले शिकायतें पहुंच रही हैं।
फिल्में दिखाएं, पड़ेगा असर यूजीसी ने विद्यार्थियों में जागरुकता बढ़ाने के लिए पिछले वर्ष चार फिल्म तैयार की थीं। सभी कॉलेज, विश्वविद्यालयों को सत्र 2019-20 की दाखिला प्रक्रिया की शुरुआत के साथएन्टी रैगिंग फिल्म दिखाने को कहा गया है।
कम करते हैं आकस्मिक जांच
यूजीसी ने एन्टी रैगिंग कमेटियों को कई मर्तबा परिसर और निकटवर्ती क्षेत्रों की आकस्मिक जांच के निर्देश दिए हैं। इसके बावजूद कमेटियां संस्थाओं की कैंटीन, टॉयलेट, हॉस्टल, निजी/किराए के भवनों में रहने वाले छात्र-छात्राओं के कमरों, बस स्टैंड, पुस्तकालय और अन्य स्थान की आकस्मिक जांच नहीं करती हैं। महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर तो रैगिंग की सीधी शिकायत के लिए पृथक हेल्प लाइन नंबर, ई-मेल की सुविधा तक नहीं है। केवल विवरणिका में एन्टी रैगिंग कमेटी सदस्यों के मोबाइल नंबर दिए गए हैं।
यूजीसी ने एन्टी रैगिंग कमेटियों को कई मर्तबा परिसर और निकटवर्ती क्षेत्रों की आकस्मिक जांच के निर्देश दिए हैं। इसके बावजूद कमेटियां संस्थाओं की कैंटीन, टॉयलेट, हॉस्टल, निजी/किराए के भवनों में रहने वाले छात्र-छात्राओं के कमरों, बस स्टैंड, पुस्तकालय और अन्य स्थान की आकस्मिक जांच नहीं करती हैं। महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर तो रैगिंग की सीधी शिकायत के लिए पृथक हेल्प लाइन नंबर, ई-मेल की सुविधा तक नहीं है। केवल विवरणिका में एन्टी रैगिंग कमेटी सदस्यों के मोबाइल नंबर दिए गए हैं।