मृतक के नाम जारी भुगतान रोका ! कालानाड़ा पंचायत के ग्रामीणों ने जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी,अजमेर को ज्ञापन भेजकर मनरेगा में फर्जीवाड़ा करने का आरोप लगाया है। इसमें बताया है कि पंचायत के अधिकारी-कार्मिक ने मिलीभगत कर मृतक की हाजिरी दर्ज कर भुगतान कर दिया। वहीं पंचायत के कार्मिकों का कहना है कि तकनीकी खामी से मृतक के नाम से जारी भुगतान रिजेक्ट हो गया है। रामलाल, बालूराम, जगदीश आदि ने सीईओ को भेजे ज्ञापन में बताया कि कालानाडा निवासी भंवरलाल की मृत्यु करीब आठ वर्ष पूर्व हो चुकी है।
मोतीपुरा के श्रमिकों के नाम से भी फर्जी हाजिरी कालानाड़ा में मॉडल तालाब निर्माण कार्य कल्याणीपुरा खन 114 में पखवाड़ा 20 फरवरी से 3 मार्च तथा 18 मार्च 2021 में मस्टररोल में मृत व्यक्ति की उपस्थित दर्ज कर उसके खाते में 2,420 तथा 2,640 रुपए जमा करा दिए। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि इससे पूर्व भी मोतीपुरा के श्रमिकों के नाम से 110 जनों के फर्जी मस्टररोल भरकर अनियमितता की गई। आरोप है कि वास्तविक रूप में श्रमिक कार्यस्थल पर पहुंचे ही नहीं।
भौतिक निरीक्षण में क्यों नहीं पकड़ा फर्जीवाड़ा मनरेगा योजना में श्रमिक आवेदन फार्म भरकर कार्य की मांग करता है। इस पर ग्राम पंचायत श्रमिक के आवेदन पर मस्टररोल में नाम दर्ज कर कार्य आवंटित करता है। यहां मेट श्रमिकों को कार्य का टास्क देकर कार्य कराता है। फिर पखवाड़ा पूरा होने पर किए गए कार्य का माप कर सीधे ही श्रमिक के खातों में भुगतान किया जाता है।
कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान मस्टररोल जारी होने से कार्य पूर्ण होने तक कनिष्ठ लिपिक, ग्राम विकास अधिकारी, बीएफटी, कनिष्ठ तकनीकी सहायक, सहायक कार्यक्रम अधिकारी में से कई अधिकारी-कार्मिक कार्य की जांच करने के साथ-साथ कार्यस्थल पर नियोजित श्रमिकों की हाजिरी आदि की जांच करते हैं, लेकिन कालानाड़ा में आठ वर्ष पूर्व मृतक की हाजिरी मस्टररोल में भरकर भुगतान जारी करना मनरेगा में अधिकारियों-कर्मचारियों की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाता है।
भ्रष्टाचार के आरोप निराधार दूसरी ओर ग्राम पंचायत कालानाडा के कनिष्ठ सहायक महेन्द्र कुमार के तर्क है कि कालानाड़ा पंचायत में नियोजित मृतक श्रमिक का नाम मस्टररोल में आना तकनीकी खामी है। इसके नाम का भुगतान रिजेक्ट कर दिया गया है। भ्रष्टाचार के आरोप निराधार हैं।