बीती जून में एसओजी ने चूरू जिले के मालासर गांव में घेराबंदी कर आनंदपाल का एनकाउंटर किया था। उस वक्त वह एक मकान में शरण लिए हुए था। पुलिस ने पहले हरियाणा से उसके भाई विक्की और रिश्तेदार को गिरफ्तार किया। उसकी निशानदेही पर एसओजी ने तत्काल प्लानिंग बनाई। एसओजी के आईजी दिनेश एम. एन के निर्देशन में पुलिस ने ऑपरेशन को अंजाम दिया।
आनंदपाल की मौत के बाद जबरदस्त हंगामा हुआ। उसके परिजनों ने पैतृक गांव सांवराद में शव की अंत्येष्ठि से इनकार कर दिया। सांवरलाल की पत्नी, पुत्री और मां ने मामले की सीबीआई जांच की मांग की। मामला धीरे-धीरे तूल पकड़ता चला गया। १२ जुलाई को सांवराद में राजपूत समाज ने हुंकार रैली रखी। इसमें १ लाख से ज्यादा लोग जुट गए। शाम को भीड़ बेकाबू हो गए।
सांवराद में भीड़ ने जबरदस्त हंगामा मचाया। नागौर के एसपी पारिस देशमुख की कार पर हमला बोलकर उलट दिया। इसके अलावा आईपीएस मोनिका सेन को घेर लिया। हमले में २१ पुलिसकर्मी और २८ लोग घायल हो गए। रेलवे स्टेशन पर भी आगजनी हुई। कथित तौर पर पुलिस को फायरिंग करनी पड़ी। स्थिति बिगडऩे पर सरकार को सांवराद में कफ्र्यू लगाना पड़ा। आखिर राज्य मानवाधिकार की कड़ी आपत्ति के बाद आनंदपाल की अंत्येष्ठी हुई।