पुलिस की प्रारम्भिक पड़ताल में सामने आया कि वली अहमद 2009 में म्यांमार (बर्मा) से बांग्लादेश चला गया था। यहां से वह चोरी-छिपे कोलकाता के रास्ते भारत में दाखिल हो गया। वहां से वह पहले जम्मू-कश्मीर चला गया। वहां संयुक्त राष्ट्र संघ के शरणार्थी उच्चायुक्त वसंत विहार नई दिल्ली से उसने शरणार्थी कार्ड बनवा लिया। इसके पश्चात वर्ष-2010 में वह अजमेर आ गया। वह अंदरकोट क्षेत्र में मजदूरी कर गुजर-बसर करने लगा। उसने अजमेर में आधार कार्ड, राशन का कार्ड, बैंक पासबुक सहित भारतीय नागरिकता के कार्ड बनवाए। आरोपित इन कार्ड के माध्यम से भारतीय नागरिक को दी जाने वाली सुविधाओं का फायदा ले रहा था।
मूल दस्तावेजों में यूएनएचसीआर, संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त वसंत विहार नई दिल्ली का शरणार्थी कार्ड के अलावा आधार कार्ड, राशन कार्ड, एबीबीजे दरगाह बाजार की पासबुक मिली। अनुसंधान में जुटी पुलिस फर्जी दस्तावेज बनाने में किस-किस ने सहयोग किया, आरोपित किसी संगठन से जुड़ा है या नहीं। इनके लिए आरोपित के मोबाइल की कॉल डिटेल निकलवा रही है। पुलिस को अभी अंदर कोट इलाके में और भी रोहिंग्या मुस्लिम परिवार व बांग्लादेशी घुसपैठिए होने का अंदेशा है। पुलिस मामले में पड़ताल में जुटी है।
एसपी राजेन्द्र सिंह का कहना है कि नागरिक सर्वेक्षण से बांग्लादेशी घुसपैठिए और रोहिंग्या मुसलमान तो सामने आने लगे हैं, लेकिन इसके पीछे सबसे बड़ी समस्या जो सामने आई है वो है फर्जी दस्तावेज बनाना। संभवत: संगठित गिरोह है जो फर्जी दस्तावेज बनाने का काम कर रहा है। पुलिस शहर में फर्जी दस्तावेज बनाने वालों पर भी सख्ती से शिकंजा कसेगी।