अजमेर के अपना घर मूक बधिर एवं दृष्टिहीन संभाग स्तरीय आवासीय विद्यालय कोटड़ा में चल रहे सार्वदेशिक आर्य वीरांगना दल के दस दिवसीय शिविर में आर्य वीरांगनाएं तलवारबाजी के न केवल गुर सीख रही हैं बल्कि वीरांगनाएं आपस में तलवार का वार करती हैं तो दूसरी ढाल से बचाव करती हैं। महाराणा प्रताप की तरह भाला चलाना भी बखूबी सीख रही हैं। समूह के रूप में आर्य वीरांगनाएं भाला चलाने, वार करने एवं दुश्मन के भाले के वार का किस तरह बचाव करना यह भी सीख रही हैं। वीरांगनाएं सर्वांग सुन्दर व्यायाम, सूर्य नमस्कार व कराटे का भी अभ्यास कर रही हैं।
विभिन्न प्रांतों से 156 वीरांगनाएं शामिल शिविर में हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान सहित अन्य प्रांतों से करीब 156 वीरांगनाएं शामिल हैं जो प्रशिक्षण के बाद देश ही नहीं विभिन्न देशों में होने वाले प्रशिक्षण में भी अहम भूमिका अदा करेंगी।
बौद्धिक रूप से भी नारी शक्ति का जगाने का प्रयास प्रधान संचालिका साध्वी डॉ. उत्तमायती के अनुसार महिलाओं, बालिकाओं के साथ होने शारीरिक, मानसिक प्रताडऩा की घटनाओं को रोकने के लिए आर्य वीरांगनाओं को बौद्धिक के माध्यम से जागृत किया जा रहा है। विपरीत परिस्थिति में किस तरह संघर्ष कर खुद की रक्षा करनी है, आत्मबल, आत्मसुरक्षा आदि का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। देश में बच्चियों, लड़कियों के साथ होने वाली घटनाओं को रोकने के लिए नारी शक्ति खुद बीड़ा संभालेंगी। उनके साथ संचालिका मृदुला चौहान, शिविर संचालक सोमरत्न आर्य की ओर से भी शिविर में आर्य वीरांगनाओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है।