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अजमेर

Big challenge: वेंटीलेटर पर राजस्थानी भाषा, नवंबर में होंगे ये हालात

मान्यता को लेकर पहले ही संघर्ष कर रही है राजस्थानी भाषा। अजमेर में हालात हो जाएंगे खराब।

अजमेरOct 21, 2020 / 06:13 pm

raktim tiwari

rajasthani language dept

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रक्तिम तिवारी/अजमेर.

राज्य के सबसे पुराने सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय में मायड़ भाषा (राजस्थानी) पर संकट मंडराने वाला है। यहां कार्यरत एकमात्र रीडर 31 अक्टूबर को सेवानिवृत्त हो जाएंगे। इसके बाद राजस्थानी पढ़ाने वाला कोई शिक्षक नहीं होगा।
राज्य में अजमेर के सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय और बीकानेर के राजकीय डूंगर महाविद्यालय में राजस्थानी भाषा पढ़ाई जाती है। कुछ निजी कॉलेज को छोड़कर अन्य सरकारी स्नातक अथवा स्नातकोत्तर कॉलेज में राजस्थानी भाषा को नियमित विषय के रूप में नहीं पढ़ाया जा रहा है। एसपीसी-जीसीए में करीब तीस साल से राजस्थानी भाषा पढ़ा रहे डॉ. लक्ष्मीकांत व्यास 31 अक्टूबर को सेवानिवृत्त हो जाएंगे।
शिक्षकों की नहीं नियमित भर्ती
कॉलेज व्याख्याताओं की भर्ती राजस्थान लोक सेवा आयोग करता है। राजस्थानी भाषा में व्याख्याता भर्ती को लेकर सरकारों का रवैया उदासीन है। आयोग के माध्यम से राजस्थानी भाषा में अंतिम बार भर्ती 1994-95 में हुई थी। इसके बाद कॉलेज शिक्षा में अन्य विषयों में व्याख्याता भर्ती हुए पर राजस्थानी भाषा की उपेक्षा लगातार होती रही है।
विश्वविद्यालयों में हाल खराब…
राज्य के कई विश्वविद्यालयों में राजस्थानी के बजाय दूसरे विषयों के शिक्षकों के पास कार्यभार है। स्थाई शिक्षकों के बजाय गेस्ट फेकल्टी कक्षाएं ले रही हैं। महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में वर्ष 2012-13 से स्कूल ऑफ राजस्थान स्टडीज बनाने का प्रस्ताव ठंडे बस्ते में है। यहां राजस्थानी भाषा और बोलियों का संरक्षण, राजस्थानी साहित्य, कथा और अन्य आयोजन होने थे।
फैक्ट फाइल…

राजस्थान में सरकारी विश्वविद्यालय-27
किन विश्वविद्यालय में राजस्थानी भाषा विभाग-4
राजस्थान में सरकारी कॉलेज-252, निजी कॉलेज-160

राज्य के दो बड़े कॉलेज में ही राजस्थानी भाषा विभाग हैं। एसपीसी-जीसीए के एकमात्र शिक्षक की सेवानिवृत्ति के बाद विभाग कैसे चलेगा यह चिंतनीय है। कई साल से राजस्थानी भाषा के कॉलेज शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हुई है। सरकार को विद्यार्थियों के हित में तत्काल शिक्षकों के पद भरने चाहिए। ताकि भाषा और इसके पढऩे वाले विद्यार्थियों को परेशानी नहीं हो।
डॉ. सी. पी. देवल, राजस्थानी साहित्यकार एवं लेखक

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