विधि स्नातकों को उच्च अध्ययन की सुविधा देने के लिए विश्वविद्यालय ने सत्र 206-07 में एलएलएम पाठ्यक्रम शुरु किया। यहां प्रथम और द्वितीय वर्ष 40-40 सीट है। शुरुआत में पाठ्यक्रम में पर्याप्त प्रवेश नहीं हुए। विधि के बजाय दूसरे विभागों के शिक्षकों को यहां विभागाध्यक्ष बनाया जा रहा है। विधि विभाग में कोई स्थाई शिक्षक नहीं है।
उधार के शिक्षक लेते हैं कक्षाएं
लॉ कॉलेज के सेवानिवृत्त शिक्षक विभाग में कक्षाएं ले रहे हैं। एलएलएम के अन्य विषय पढ़ाने के लिए यदा-कदा वकील या सेवानिवृत्त शिक्षक आते हैं। एलएलएम पाठ्यक्रम की बदहाली से बार कौंसिल ऑफ इंडिया भी चिंतित नहीं दिख रही। जबकि उसके नियम पार्ट-चतुर्थ, भाग-16 में साफ कहा गया है, कि विश्वविद्यालय और कॉलेज को एलएलएम कोर्स के लिए स्थाई प्राचार्य, विषयवार शिक्षक और संसाधन जुटाने जरूरी हेांगे।
लॉ कॉलेज के सेवानिवृत्त शिक्षक विभाग में कक्षाएं ले रहे हैं। एलएलएम के अन्य विषय पढ़ाने के लिए यदा-कदा वकील या सेवानिवृत्त शिक्षक आते हैं। एलएलएम पाठ्यक्रम की बदहाली से बार कौंसिल ऑफ इंडिया भी चिंतित नहीं दिख रही। जबकि उसके नियम पार्ट-चतुर्थ, भाग-16 में साफ कहा गया है, कि विश्वविद्यालय और कॉलेज को एलएलएम कोर्स के लिए स्थाई प्राचार्य, विषयवार शिक्षक और संसाधन जुटाने जरूरी हेांगे।
हिंदी पाठ्यक्रम का बुरा हाल राष्ट्रभाषा हिंदी भी विश्वविद्यालय में बदहाल है। यहां 27 साल तक तोहिंदी का विभाग ही नहीं था। राजस्थान पत्रिका ने मुद्दा उठाया तो राज्यपाल कल्याण सिंह ने संज्ञान लेकर हिंदी विभाग खुलवाया। चार साल से मातृभाषा हिंदी विभाग भी उधार के शिक्षक के भरोसे संचालित है। विभाग में कोई स्थाई प्रोफेसर, रीडर अथवा लेक्चरर नहीं है। ऐसा तब है जबकि देश-विदेश में हिंदी की लोकप्रियता बढ़ रही है।
पत्रकारों के भरोसे विभाग
पत्रकारिता विभाग में भी पिछले दस साल से स्थाई शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हुई है। विभाग पूरी तरह पत्रकारों के भरोसे संचालित है। विभाग में टीवी-रेडियो स्टूडियो जैसी सुविधाएं नहीं हैं। विद्यार्थियों के लिए मीडिया क्षेत्र के नामचीन पत्रकारों, विशेषज्ञों के व्याख्यान नहीं कराए जाते हैं।
पत्रकारिता विभाग में भी पिछले दस साल से स्थाई शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हुई है। विभाग पूरी तरह पत्रकारों के भरोसे संचालित है। विभाग में टीवी-रेडियो स्टूडियो जैसी सुविधाएं नहीं हैं। विद्यार्थियों के लिए मीडिया क्षेत्र के नामचीन पत्रकारों, विशेषज्ञों के व्याख्यान नहीं कराए जाते हैं।
शिक्षकों पर दूसरे विभागों का जिम्मा -प्रो. शिवदयाल सिंह (अर्थशास्त्र)-राजनीति विज्ञान, इतिहास, स्पोटर्स बोर्ड
प्रो. सुब्रतो दत्ता (पर्यावरण विज्ञान)-रिमोट सेंसिंग और परीक्षा नियंत्रक प्रो. शिव प्रसाद (मैनेजमेंट)-पत्रकारिता और अम्बेडकर शोध पीठ
प्रो. लक्ष्मी ठाकुर (जनसंख्या अध्ययन)-सिंधु शोध पीठ
प्रो. सुब्रतो दत्ता (पर्यावरण विज्ञान)-रिमोट सेंसिंग और परीक्षा नियंत्रक प्रो. शिव प्रसाद (मैनेजमेंट)-पत्रकारिता और अम्बेडकर शोध पीठ
प्रो. लक्ष्मी ठाकुर (जनसंख्या अध्ययन)-सिंधु शोध पीठ
डॉ. दीपिका उपाध्याय (मैनेजमेंट)-हिंदी विभाग
डॉ. आशीष पारीक (मैनेजमेंट)-लघु उद्यमिता एवं कौशल केंद्र
डॉ. आशीष पारीक (मैनेजमेंट)-लघु उद्यमिता एवं कौशल केंद्र