जानबूझकर देरी का आरोप पक्षकार के अधिवक्ता ने राजस्व मंडल अध्यक्ष को प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर प्रकरण के शीघ्र निस्तारण तथा वृहद पीठ में दोनो सदस्य न्यायिक कोटे से ही लगाए जाने की मांग की है। पक्षकार के अधिवक्ता का आरोप है कि मामले में जानबूझ कर देरी की जा रही है।
यह है मामला 29 दिसम्बर 1976 को तत्कालीन जिला कलक्टर श्री गंगानगर ने उपखंड अधिकारी नोहर के फैसले के विरुद्ध राजस्व मंडल में रेफरेंस प्रस्तुत किया। सुनवाई के दौरान यह खारिज हो गया। बाद में उच्च न्यायालय जोधपुर में नजरसानी (रिवीजन) निरस्त कर दो बार मेरिट पर सुनने के आदेश दिए गए। राजस्व मंडल की एकल पीठ ने रेफरेंस स्वीकार किया। इसके खिलाफ उच्च न्यायालय में मेरिट पेश होने पर अंतिम बहस सुनकर दोबारा राजस्व मंडल में मंडल अध्यक्ष की अध्यक्षता में दो अन्य सदस्यों को सुनवाई के लिए भेजा गया। राजस्व मंडल में मुकदमा पेंडिग के दौरान जयपुर की नगरीय कमेटी द्वारा नगर पालिका की भूमि को कृष्णानन्द के नाम से अलग रहने का आदेश दिया गया। जिसे राजस्व मंडल द्वारा स्वीकार किया गया तथा उच्च न्यायालय की एकल पीठ द्वारा सरकार की रिट याचिका खारिज कर दी गई। इसकी अपील को खंडपीठ ने मियाद के बिन्दु पर ही खारिज कर दिया गया।