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अजमेर

इनका दोनों आंखों से देखना हुआ मुश्किल, जनाब तलाश रहे तीसरी आंख

शहर में अस्सी कैमरे लगने के बाद शहर के मुख्य हिस्से तीसरी नजर की जद में आ जाएंगे।

अजमेरNov 26, 2017 / 10:50 pm

raktim tiwari

cctv camera in beawar

cctv

भगवतदयाल सिंह/ब्यावर।

सुरक्षा की लिहाज से मुख्य बाजारों व चौराहा पर सीसीटीवी कैमरा लगाने की योजना पर बजट आड़े आ रहा है। शहर के बीस चौराहों व मुख्य स्थानों पर अस्सी कैमरे लगाए जाने के लिए प्रस्ताव लम्बे समय से फाइलों में चल रहे हैं। सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए बजट नहीं मिलने से फिलहाल पुलिस पूर्व में लगे कैमरे के भरोसे ही काम चला रही है। हालांकि शहर में अस्सी कैमरे लगने के बाद शहर के मुख्य हिस्से तीसरी नजर की जद में आ जाएंगे।
शहर में वर्ष 2014 तक मुख्य चौराहों पर सीसीटीवी कैमरे लगे हुए थे। इन कैमरों का कंट्रोल रुम भी शहर पुलिस थाने में ही था। ऐसे में मुख्य चौराहा पर हर समय निगाह बनी रहती थी। बाद में इन कैमरे में तकनीकी खामी आ गई। ऐसे में पुलिस ने मुख्य स्थानों पर तो कैमरे लगा दिए लेकिन चिन्हित सभी स्थानों पर अब तक कैमरे नहीं लग सके, जबकि पुलिस की ओर से तैयार करवाए गए प्रस्ताव में लगाए जाने वाले कैमरे का कंट्रोल रुम शहर थाने में होने के साथ ही पुलिस को मोबाइल पर देखने की सुविधा भी शामिल रखी गई, ताकि पुलिस अधिकारी समय-समय पर किसी भी स्थान पर शहर के मुख्य स्थानों पर नजर रख सकेंगे। यह योजना बजट के अभाव में फलीभूत नहीं हो पा रही है।
बीस स्थानों पर लगने है 80 कैमरे
पुलिस ने शहर के बीस मुख्य चौराहों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए चिन्हित किए हैं। इन स्थानों पर कैमरे लगाने के लिए करीब 15 लाख की लागत आएगी। इसके लिए बजट की आवश्यकता है। बजट नहीं मिलने से करीब एक साल से सीसीटीवी कैमरे लगाने के चल रहे प्रयास आगे नहीं बढ़ पा रहे है।
तीन स्थान पर लगे हैं कैमरे
फिलहाल शहर में तीन स्थान पर कैमरे लगे हुए हैं। इन कैमरों से शहर की अलग-अलग स्थानों पर पुलिस नजर रख रही है, जबकि शहर की बढ़ती आबादी के नजरिए से शहर में अस्सी कैमरे लगाए जाने की आवश्यकता है।
यह भी है परेशानी
सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने के बाद दो साल तक तो संबंधित कम्पनी का रखरखाव रहेगा। इसके बाद इनके रखरखाव पर करीब डेढ से दो लाख रुपए का खर्च आएगा। यह खर्च किसकी ओर से वहन किया जाएगा। इसके लिए कोई तैयार नहीं है।
बढ़ रहे हैं मामले
शहर में बैग छीनने, चेन स्नेचिंग के मामले बढ रहे हैं। पिछले एक पखवाड़े में बैग छीनने के तीन मामले हो चुके हैं। इसके बावजूद अब तक पुलिस किसी को नहीं पकड़ पा रही है। यह मामले सुबह व शाम के समय अधिक होते हैं। सीसीटीवी कैमरे नहीं होने से ऐसे लोगों तक पहुंचने में परेशानी आ रही है। इतना ही नहीं ज्वैलर्स के साथ धनतेरस की रात्रि को हुई लूट के मामले में भी पुलिस ने प्रयास किए लेकिन अब तक सफलता नहीं मिली। पुलिस ने घटनास्थल के आस-पास के सीसीटीवी कैमरे खंगाले लेकिन सफलता नहीं मिल सकी।
निजी कैमरों का सहारा
शहर में मुख्य चौराहा पर सीसीटीवी नहीं लग पाने से लोगों की ओर से निजी स्तर पर प्रतिष्ठानों व घरों के बाहर लगे कैमरे को सहारा लेती है। पुलिस ने भी व्यापारियों व लोगों से अपने घर के बाहर भी एक सीसीटीवी कैमरा लगाने की सलाह दी है।
हाल में लगे नए गुणवतायुक्त कैमरे पुलिस की जांच में भी सहायक बने है। घटना के बाद संबंधित क्षेत्र में लगे सीसीटीवी कैमरे को देखकर आरोपित तक पहुंचने में लम्बा समय लग जाता है। तब तक आरोपित निश्चित क्षेत्र से निकल चुके होते हैं। मुख्य चौराहा पर लगे सीसीटीवी कैमरे सीधे ही पुलिस की नजर में रहेंगे। ऐसे में पुलिस के पास तत्काल कार्रवाई करने का अवसर मिल जाता है।
शहर में बीस स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने हैं। इसका प्रस्ताव तैयार करवाया गया है। बजट को लेकर समस्या आ रही है। बजट मिलते ही सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे।

यशवंतसिंह यादव, शहर थानाधिकारी
सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए प्रस्ताव मांगा था। इसके लिए बजट देने को भी कहा। प्रस्ताव नहीं मिला है। इसके लिए पहले लिखा हुआ है। चिन्हित स्थानों पर कैमरे लगाने के लिए बजट दिया जाना है, ताकि सुरक्षा के लिए पुख्ता बंदोबस्त हो सके।
शंकरसिंह रावत, विधायक

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