पुलिस ने शहर के बीस मुख्य चौराहों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए चिन्हित किए हैं। इन स्थानों पर कैमरे लगाने के लिए करीब 15 लाख की लागत आएगी। इसके लिए बजट की आवश्यकता है। बजट नहीं मिलने से करीब एक साल से सीसीटीवी कैमरे लगाने के चल रहे प्रयास आगे नहीं बढ़ पा रहे है।
फिलहाल शहर में तीन स्थान पर कैमरे लगे हुए हैं। इन कैमरों से शहर की अलग-अलग स्थानों पर पुलिस नजर रख रही है, जबकि शहर की बढ़ती आबादी के नजरिए से शहर में अस्सी कैमरे लगाए जाने की आवश्यकता है।
सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने के बाद दो साल तक तो संबंधित कम्पनी का रखरखाव रहेगा। इसके बाद इनके रखरखाव पर करीब डेढ से दो लाख रुपए का खर्च आएगा। यह खर्च किसकी ओर से वहन किया जाएगा। इसके लिए कोई तैयार नहीं है।
शहर में बैग छीनने, चेन स्नेचिंग के मामले बढ रहे हैं। पिछले एक पखवाड़े में बैग छीनने के तीन मामले हो चुके हैं। इसके बावजूद अब तक पुलिस किसी को नहीं पकड़ पा रही है। यह मामले सुबह व शाम के समय अधिक होते हैं। सीसीटीवी कैमरे नहीं होने से ऐसे लोगों तक पहुंचने में परेशानी आ रही है। इतना ही नहीं ज्वैलर्स के साथ धनतेरस की रात्रि को हुई लूट के मामले में भी पुलिस ने प्रयास किए लेकिन अब तक सफलता नहीं मिली। पुलिस ने घटनास्थल के आस-पास के सीसीटीवी कैमरे खंगाले लेकिन सफलता नहीं मिल सकी।
शहर में मुख्य चौराहा पर सीसीटीवी नहीं लग पाने से लोगों की ओर से निजी स्तर पर प्रतिष्ठानों व घरों के बाहर लगे कैमरे को सहारा लेती है। पुलिस ने भी व्यापारियों व लोगों से अपने घर के बाहर भी एक सीसीटीवी कैमरा लगाने की सलाह दी है।
सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए प्रस्ताव मांगा था। इसके लिए बजट देने को भी कहा। प्रस्ताव नहीं मिला है। इसके लिए पहले लिखा हुआ है। चिन्हित स्थानों पर कैमरे लगाने के लिए बजट दिया जाना है, ताकि सुरक्षा के लिए पुख्ता बंदोबस्त हो सके।