जिले के अजयपाल बाबा मंदिर, गौरी कुंड, चौरसियावास तालाब, आनासागर, फायसागर, चश्मा ए नूर, नरवर, मदार, हाथीखेड़ा, नसीराबाद और अन्य इलाकों में जलाशयों के निकट वन कर्मियों ने मोर्चा संभाला। किशनगढ़ में गूंदोलाव झील, ब्यावर में सेलीबेरी, माना घाटी, पुष्कर में गौमुख पहाड़, बैजनाथ मंदिर, नसीराबाद में सिंगावल माताजी का स्थान, माखुपुरा नर्सरी के निकट, कोटाज वन खंड, सरवाड़ में अरवड़, अरनिया-जालिया के बीच और अन्य वाटर हॉल पर गणना शुरू कराई। रेंजर, फॉरेस्ट के साथ वन्य जीव प्रेमियों और कार्मिकों ने मोर्चा संभाला। वन्य जीवों की फोटो खींचे गए।
पैंथर-बघेरे पर रही खास निगाहें
वन कर्मियों की पैंथर पर खास निगाहें रहीं। बीते चार-पांच महीने में ब्यावर, अंधेरी देवरी, मसूदा-जवाजा क्षेत्र में पैंथर, बघेरे देखे गए हैं। वन विभाग की गणना में बीते साल जिले में पैंथर नजर आया। राजगढ़ इलाके में शावक के साथ मादा पैंथर दिखी। कुंडाल में भी पैंथर को चिन्हित किया गया। इससे पहले की गणना में कभी पैंथर चिन्हित नहीं हुआ था। मालूम हो कि विभाग वन्य जीव गणना में पैंथर की संख्या लगातार कम हो रही है।
वन कर्मियों की पैंथर पर खास निगाहें रहीं। बीते चार-पांच महीने में ब्यावर, अंधेरी देवरी, मसूदा-जवाजा क्षेत्र में पैंथर, बघेरे देखे गए हैं। वन विभाग की गणना में बीते साल जिले में पैंथर नजर आया। राजगढ़ इलाके में शावक के साथ मादा पैंथर दिखी। कुंडाल में भी पैंथर को चिन्हित किया गया। इससे पहले की गणना में कभी पैंथर चिन्हित नहीं हुआ था। मालूम हो कि विभाग वन्य जीव गणना में पैंथर की संख्या लगातार कम हो रही है।