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कोरोना का भय : अजमेर में नहीं निकला चेटीचंड का जुलूस,70 साल में ऐसा हुआ पहली बार

 
कोरोना का भय : अजमेर में नहीं निकला चेटीचंड का जुलूस,70 साल में ऐसा हुआ पहली बार
Chetichand’s procession did not take place in Ajmer,
सिंधी समाज घर पर ही झूलेलाल की पूजा-आराधना में रहा लीन,दीपदान किया और ताली-थाली बजाकर निभाई धािर्मक रस्में, भव्यता व संस्कृति को जीवंत बनाने में अग्रणीय रहा है अजमेर का चेटीचंड का जुलूस, कोरोना से जागरुकता व लॉकडाउन के चलते जुलूस किया निरस्त

अजमेरMar 25, 2020 / 10:38 pm

suresh bharti

Happy Chetichand : राजस्थान  के इस शहर में निकलता है शानदार जुलूस जिसकी झांकियां देखने आते हैँ दूर दूर से लोग आप भी देखें तस्वीरें

file photo

अजमेर. सिंधी समाज का ऐतिहासिक चेटीचंड का जुलूस Chetichand’s procession इस साल कोरोना की भेंट चढ़ गया। सत्तर साल में ऐसा पहली बार हुआ है कि अजमेर शहर में यह जुलूस निरस्त कराना पड़ा।

कोरोना से बचाव व लॉक डाउन के चलते सिंधी समाज ने इस बार जुलूस नहीं निकालने का निर्णय किया। झूलेलाल के मंदिरों में प्रतीकात्मक रूप से महज पूजा-अर्चना की गई। दिनभर यहां सन्नाटा पसरा रहा। डीजे की धुन पर छेज लगाने और प्रसादी वितरण के कार्यक्रम कहीं नहीं हुए।
गौरतलब है कि अजमेर में सिंधी समाज की अच्छी जनसंख्या है। चेटीचंड के जूलूस Chetichand’s procession पर शाही खर्च किया जाता रहा है। करीब तीन सौ झांकियां, बैण्डबाजा, लहराती पताकाएं, घुड़सवार, तोरणद्वार, नृत्य करती युवक-युवतियों की टीमें, भजनों की गूंज अजमेर के चेटीचंड जुलूस की खास पहचान रही है। इस बार अजमेर शहर के लोग यह जुलूस नहीं देख पाए।
जब युवाओं ने संभाली कमान

सिंधी समाज के बुजुर्ग बताते हैं कि देश विभाजन के बाद महज एक-दो वर्ष के लिए चेटीचंड का जुलूस Chetichand’s procession नहीं निकल पाया था। तब सिंधी समाज के परिवारों का रहने का ठिकाना नहीं था। आर्थिक कारण भी वजह रहे। अजमेर का सिंधी समाज जब अपने पैरों पर खड़ा हुआ। समाज के लोग कारोबार करने लगे। घर-परिवार बस गए। उसके बाद बीते सात दशक से हर साल चेटीचंड का जुलूस निकलता आ रहा है।
समाज की पुरानी पीढ़ी के हाथ से बागडौर नई पीढ़ी को मिलने के बाद से चेटीचंड का जुलूस साल-दर-साल भव्य होता चला गया। इस जुलूस के माध्यम से सिंधी संस्कृति जीवंत होती रही है। समाज की एकता को बढ़ावा मिला। युवा पीढ़ी ने जुलूस की भव्यता को चार चांद लगा दिए।
सिंधियत मेला भी निरस्त

कोरोना वायरस के चलते इस साल चेटीचंड जुलूस Chetichand’s procession सहित चेटीचंड पखवाड़े में 16 दिवसीय सांस्कृतिक व धार्मिक कार्यक्रम भी रद्द कर दिए गए। सिंधी समाज के आकर्षण का केन्द्र सिंधियत मेला भी नहीं लगा। शहर के छोटे-बड़े झूलेलाल मंदिरों में आम भंडारे नहीं हुए। जुलूस का आयाोजन करने वाले पूज्य लाल सांई सेवा ट्रस्ट झूलेलाल धाम में तीन दिवसीय धार्मिक कार्यक्रम नहीं होंगे।
थाली और ताली बजाकर मनाया जन्मोत्सव

भारतीय सिंधु सभा के महामंत्री महेन्द्र कुमार तीर्थानी व पूज्य झूलेलाल जयंती महोत्सव समिति के संयोजक कंवल प्रकाश किशनानी ने बताया कि इस साल जुलूस Chetichand’s procession निकालने की बजाय सुबह थाली आौर ताली बजाकर झूलेलाल का जन्मोत्सव मनाया गया। घरों पर आरती का आयाोजन हुआ। जुलूस से बढकऱ आम नागरिक का जीवन बचाना जरूरी है। कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई किसी धर्मयुद्ध से कम नहीं है। जब पूरे देश में लॉक डाउन है। सरकार व प्रशासन आमजन से सहयोग मांग रहा है तो अजमेर का सिंधी समाज पीछे क्यों रहेगा।
कोरोना के खिलाफ जंग में सहभागी

विधायक वासुदेव देवनानी के अनुसार देश विभाजन के पहले और बाद में संभवत: यह पहला मौका है जब भगवान झूलेलाल का जुलूस Chetichand’s procession नहीं निकला जा सका है। समाज की ओर से पहले भी कई बार सादगी से जुलूस निकाला जाता रहा है, लेकिन इस साल वैश्विक आपदा की वजह से समाज के परिवारों ने घर पर ही त्योहार मनाया है।
झूलेलाल धाम ट्रस्ट के महासचिव जयकिशन पारवानी के अनुसार वैश्विक महामारी के खिलाफ जंग में अजमेर का सिंधी समाज भी साथ है। पर्व-त्योहार तो हर साल मनाते हैं, लेकिन इस वर्ष परिस्थितियां अनुकूल नहीं है। जिला प्रशासन से मिली एडवाइजरी व संकट की घड़ी में जिम्मेदारी का एहसास कर इस साल अजमेर के सिंधी समाज ने चेटीचंड का जुलूस Chetichand’s procession नहीं निकाला।

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