मदस विश्वविद्यालय से करीब 300 सरकारी और निजी कॉलेज सम्बद्ध हैं। इनमें स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर के लॉ बीएड और अन्य उच्च शिक्षण संस्थान शामिल है। युवाओं के लिए खेलों के विकास और कॅरियर के लिहाज से सभी कॉलेज को फीस के सौ रुपए बतौर खेल शुल्क वसूलते हैं। ताकि विद्यार्थियों के लिए आउटडोर और इन्डोर खेलों के अलावा विभिन्न प्रतिस्पधाएं कराई जा सकें।
कई कॉलेज के नहीं खेल मैदान कॉलेज को सम्बद्धता देते वक्त विश्वविद्यालय भवन के अलावा खेल सुविधाओं का निरीक्षण भी करता है। इनमें खेल मैदान, आउटडोर और इन्डोर खेल सुविधाएं, संसाधन, शारीरिक शिक्षक और अन्य बिन्दु शामिल होते हैं। विश्वविद्यालय से जुड़े कई कॉलेज के पास खेल मैदान ही नहीं हैं। इनमें राजकीय कन्या महाविद्यालय, लॉ कॉलेज, श्रमजीवी कॉलेज, राजकीय आचार्य संस्कृत कॉलेज सहित कई निजी कॉलेज शामिल हैं।
ना प्रशिक्षक ना खेलों का आयोजन कॉलेज में मैदान के अलावा अन्य संसाधन भी नहीं है। ज्यादातर सरकारी और निजी कॉलेज खेल प्रशिक्षक नहीं हैं। कॉलेज स्तर पर खेलों का आयोजन भी नहीं होता। यदा-कदा विद्यार्थियों के लिए अन्तर कक्षा स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिता होती हैं। जिला, राज्य अथवा राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं का नियमति आयोजन नहीं होता। महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय अपनी कुछ इन्टर कॉलेज प्रतियोगिताएं जरूर कॉलेज में कराता है। यह स्पर्धाएं वहीं होती हैं, जहां संबंधित खेल की सुविधाएं, संसाधन होते हैं।
फीस वसूली ही मकसद जिन कॉलेज में खेल मैदान अथवा संसाधन नहीं है, वहां विद्यार्थियों को कोई फायदा नहीं मिल रहा। कॉलेज और विश्वविद्यालय अभिभावकों और विद्यार्थियों की जेब ढीली कर रहे हैं। कई निजी बीएड और लॉ कॉलेज तो इसमें अव्वल है।
इनसे सीखें खेल सुविधाएं जुटाना विश्वविद्यालय और कॉलेज से बेहतर सुविधाएं सीबीएसई से सम्बद्ध स्कूल में है। मेयो कॉलेज और मेयो कॉलेज गल्र्स स्कूल, मयूर, संस्कृत द स्कूल और अन्य स्कूल में उच्च स्तरीय स्वीमिंग पूल, बास्केटबॉल कोर्ट, हॉकी-क्रिकेट मैदान, स्कवैश, टेबल टेनिस, बैडमिंटन और अन्य इन्डोर गेम्स सुविधाएं उपलब्ध है।
संसाधन भी नहीं उच्च स्तरीय एसपीसीजीसीए-टूटा-फूटा स्वीमिंग पूल, बास्केटबॉल कोर्ट, मैदान नहीं उच्च स्तरीय दयानंद कॉलेज-स्वीमिंग पूल नहीं उच्च स्तरीय संस्कृत और लॉ कॉलेज-ना खेल मैदान ना कोई खेल सुविधाएं श्रमजीवी कॉलेज-ना खेल मैदान ना कोई खेल सुविधाएं